नई दिल्ली,(एजेंसी)06 अगस्त। करीब सात साल पहले मुंबई में हुए आतंकी हमले के दौरान पकड़े गए आमिर अजमल कसाब के बाद अब दूसरा जिंदा पाकिस्तानी आतंकी सुरक्षा बलों के हाथ आया है। कसाब से मिलती-जुलती शक्ल वाले मुहम्मद नावेद के पकड़े जाने से आतंकवाद पर पाकिस्तान का खूनी खेल एक बार फिर बेनकाब हो गया है।
पाकिस्तानी आतंकियों ने बुधवार सुबह ऊधमपुर से 17 किलोमीटर दूर जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर बीएसएफ के एक काफिले को निशाना बनाया। इसमें दो जवान शहीद हो गए और 14 घायल हो गए। बीएसएफ जवानों ने भी तत्काल जवाबी कार्रवाई कर एक आतंकी को मार गिराया। दूसरा आतंकी नजदीकी गांव कित्थर की ओर भाग निकला। वहां पर उसने पांच ग्रामीणों को बंधक बना लिया। इसके बाद सुरक्षा बलों ने इलाके को घेर लिया। इस बीच बंधक बनाए गए ग्रामीणों ने हिम्मत दिखाते हुए आतंकी को दबोच लिया। मारे गए आतंकी का नाम मोमिन खान था। वह पाकिस्तान के बहावलपुर का रहने वाला था।
रॉकी और शुभेंदु हुए शहीद
आतंकी हमले में कांस्टेबल रॉकी और शुभेंदु राय शहीद हो गए। घायल जवानों के नाम- मोहन लाल, ललित मोहन, दलजीत सिंह, डीबी मंडल, राजीव, ओम प्रकाश गौतम, महेश चौहान, राकेश सिंह, डीपी गुप्ता, राजेश बाई और केपी सिंह हैं। इनके अलावा तीन अन्य जवान भी घायल हुए हैं। सभी घायल जवान बीएसएफ की 59 बटालियन के बताए गए हैं। इन सभी का उपचार ऊधमपुर में सेना के कमांड अस्पताल में हो रहा है।
तीर्थ यात्रियों पर हमले की आशंका निराधार
यह हमला उस समय हुआ जब राजमार्ग से श्री अमरनाथ यात्रा का काफिला और किश्तवाड़ जिले में जारी मचैल यात्रा की गाडिय़ां भी गुजर रही थीं। ऐसे में यह आशंका जताई जा रही है कि आतंकी श्रद्धालुओं पर हमला करने के मकसद से आए थे लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे निराधार बताया है।
जीजा-साले ने दिखाई बहादुरी
* आतंकी नावेद राइफल की नोक पर पांच ग्र्रामीणों को बंधक बनाकर पहाड़ी पर बने एक स्कूल में ले गया। फरार होने का रास्ता पूछा
* बंधकों में शामिल विक्रमजीत व राकेश शर्मा (जीजा-साले) उससे भिड़ गए
* राकेश ने आतंकी की गर्दन पकड़ ली, विक्रमजीत राइफल छीनने लगा
* इसी छीना-झपटी में गोली चल गई, विक्रमजीत जख्मी हो गया मगर हौसला कायम रखा
* इसके बाद विक्रम व राकेश आतंकी पर टूट पड़े
* घबराकर आतंकी छोडऩे की गुहार लगाने लगा
* तब तक बीएसएफ व पुलिस पहुंच गई। विक्रम व राकेश ने नावेद को उन्हें सौंप दिया
गिरफ्त में आया तो बोला:-
‘मैं यहां हिंदुओं को मारने आया हूं। मुझे ऐसा करने में मजा आता है।’
‘अल्लाह का काम है… मैंने अपने आकाओं के लिए काम किया।’
नावेद की कहानी उसकी जुबानी
* पाकिस्तान के फैसलाबाद के गुलाम मुहम्मदाबाद का निवासी।
* पंजाबी व उर्दू आती है। 10-12 दिन पहले जंगल के रास्ते भारत आया।
* जंगल में साथी मोमिन संग रहा था। सीमा पर तार नहीं काटा।
* किसी के घर में घुसा और खाया पिया। स्थानीय मददगारों से हथियार मिले।
* भारत में हमले के लिए पैसे नहीं मिले।
तीन बार बदले नाम
पाकिस्तानी आतंकी ने अपना नाम पहले कासिम खान फिर उस्मान और बाद में मुहम्मद नावेद बताया
उम्र भी बदली
नावेद ने पहले अपनी उम्र 20 साल और बाद में 16 साल बताई। लश्कर अपने आतंकियों को पकड़े जाने पर अपनी उम्र 18 साल से कम बताने का प्रशिक्षण देता है। कम उम्र होने की वजह से आतंकियों को भी जुवेनाइल एक्ट का लाभ मिल सकता है।
पिता का नाम : मुहम्मद याकूब
परिवार : दो भाई व एक बहन
कहां से घुसे : पहले कहा राजौरी से। फिर बोला कुपवाड़ा से। पहले जम्मू से ऊधमपुर आने व बाद में श्रीनगर से ऊधमपुर आने की बात कही।