नई दिल्ली,(एजेंसी)28 मई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार के एक साल पूरे होने के मौके पर सरकार की उपलब्धियों को गिनाया। मोदी ने पीटीआई को दिये साक्षात्कार में सरकार के एक साल का पूरा लेखा-जोखा दिया है। पीएम ने अपने साक्षात्कार को ट्विटर पर भी साझा किया है।
आपकी सरकार का एक साल पूरा हो गया, संक्षेप में अपना अनुभव बतायें।
जब मैंने अपना कार्यभार संभाला था प्रशासनिक अधिकारी फैसले लेने में काफी डरते थे। वहीं कैबिनेट व्यवस्था भी बेहाल हो चुकी थी, अतिरिक्त संवैधानिक संस्थायें सरकार के बाहर होने के बाद भी सरकार पर हावी थी।
राज्य और केंद्र के बीच तनातनी का माहौल था, विदेशियों सहित देश के लोगों का भी देश की सरकार से भरोसा उठ गया था। ऐसे में इस माहौल को बदलना मेरे लिए बड़ी चुनौती थी और लोगों में एक बार फिर से भरोसा और आशा लाने का मैंने पूरा प्रयास किया है।
आप जब पीएम बने थे तो आपने कहा था कि मैं दिल्ली में नया हूं और इसे समझने की कोशिश कर रहा हूं, क्या आप दिल्ली को समझ गये हैं।
जब मैंने दिल्ली कहा था तो मेरा तात्पर्य था केंद्र सरकार, मेरा मानना है कि दिल्ली उसी तरह से काम करती है जैसे यहां के नेता चाहते हैं। मेरी सरकार ने दिल्ली में काम का माहौल बनाया है और सरकार कहीं ज्यादा सक्रिय और प्रोफेशनल है अब।
जब मैंने कार्यभार संभाला था तो सत्ता के गलियारे लॉबिंग की गिरफ्त में थे और ऐसे में मेरा मकसद इस गलियारे को साफ करना था। यह प्रक्रिया थोड़ा समय जरूर लेगी लेकिन इसका फायदा लोगों को लंबे समय तक होगा।
और आप समझे क्या।
मुझे यह अभी भी नहीं समझ आया कि जो पार्टियां पहले राज्यों में भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन की पक्षधर थी वो दिल्ली में बैठने के बाद अचानक इसके विरोधी कैसे हो गयी।
पिछले एक साल के बाद क्या आपको ऐसा लगता है कि आपने जो किया उससे बेहतर या अलग कर सकते थे।
मेरे पास दो विकल्प हैं, एक तो यह कि क्रमबद्ध तरीके से मैं सरकारी तंत्र को सही करता जिससे कि देश के लोगों को लंबे समय तक इसका लाभ हो। जबकि दूसरा विकल्प यह था कि मैं सरकार को मिले प्रचंड बहुमत के बाद लोकलुभावनी योजनायें शुरु कर जनता को बेवकूफ बना मीडिया की सुर्खियों में बना रहता।
दूसरा विकल्प काफी आसान था और जनता इसकी आदि हो चुकी थी लेकिन मैंने पहले विकल्प को चुना और सरकारी तंत्र को दुरुस्त और मजबूत करने का काम शुरु किया। लेकिन अगर मैंने लोकलुभावन वाला रास्ता चुना होता तो मैंने निसंदेह जनता का भरोसा तोड़ा होता।
एक साल के कार्यकाल के दौरान आपने कई योजनाओं जैसे स्वच्छ भारत, स्कूलों के लिए शौचालय, जनधन सहित कई योजनायें शुरु की। अब भविष्य के लिए आपकी क्या योजना है।
पहले तो मैं कहना चाहूंगा कि स्वच्छ भारत और स्कूलों में शौचालय सिर्फ सफाई के लिए नहीं हैं। बल्कि शौचालय की व्यवस्था होना महिलाओं के लिए सम्मान से जीने के लिए न्यूनतन आवश्यकता है जिसे पूरा करना सरकार की जिम्मेदारी है। लेकिन दुर्भाग्यवश हम आजादी के इतने साल बाद भी हम इसे नहीं कर पाये हैं।
हमारा आने वाला समय महिलाओं, किसानों शहरी गरीबों और बेरोजगारी पर केंद्रित होगा। जो भी हमने शुरु किया है उसे आगे ले जाने के साथ गांवों और निकायों तक पहुंचाने की जरूरत है।
हमने अहम मुद्दों जैसे बिजली, स्वच्छ शहर, स्वच्छ नदियां, पानी आदि की समस्याओं को खत्म करना है। हमें अपने सुधार जारी रखने होंगे जिससे की हम पांच करोड़ लोगों को घर देने की योजना को साकार करना चाहते हैं। हमें देश के हर क्षेत्र के लोगों मुख्य रुप से पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्रों को विकास के समान पैमाने पर लाना होगा।
हमें शैक्षणिक संस्थायों, कर्मचारियों और काम करने वाले लोगों की क्षमता का विकास करना है। हमें शोध के क्षेत्र में विकास करना है, हमारे देश के लड़के और लड़कियां अन्य देशों में बहुत बेहतर काम कर रहे हैं लेकिन हमें उन्हें अपने देश में रोकने में विफल हुए हैं।
हमने इसके लिए अटल इनोवेश मिशन और सेल्फ इंफ्लायमेट और टैलेंट यूटीलाइजेशन की योजना शुरु की है जिससे की ऐसे युवाओं को मदद मिले।
आप आर्थिक सुधारों में तेजी लाना चाहते थे, लेकिन सुधारों से जुड़े भूमि अधिग्रहण बिल, जीएसटी को पास कराने में आपको दिक्कतों आ रही हैं। क्या आपको लगता है कि ऐसी बाधायें देश के विकास के लिए बाधा है। ऐसे में जो लोग इसका विरोध कर रहे उन्हें क्या संदेश देना चाहेंगे।
जीएसटी और भूमि अधिग्रहण बिल देश के लिए बहुत फायदेमंद हैं। इन बिलों के मुख्य उद्देंश्य को सभी पार्टियों को समझना चाहिए और अपने राजनैतिक मकसद को किनारे रखकर इसका समर्थन करना चाहिए।
देश को लंबे विकास के लिए तैयार करना है। राज्य जीएसटी के पक्ष में हैं जोकि हमारे संघीय ढांचे की मजबूती को दिखाता है और इस लोकसभा में पास भी कर दिया गया है। ऐसे में बस कुछ समय की ही बात है जब ये बिल पास हो जायेंगे।
अगर ये सुधार तेजी से आगे नहीं बढ़ाये गये तो इससे क्या संदेश जायेगा खासकर कि उन विदेशी निवेशकों को जिन्हें आप देश में लाने के लिए काफी प्रयास कर रहे हैं।
दिल्ली में लोगों की एक अनूठी सोच है कि विकास संसद में नये कानूनों के बनने से जुड़ा है। जबकि हकीकत यह है कि विकास मुख्य रूप से उनसे जुड़ा है जिन्हें इसकी जरूरत है और इसे बिना नये कानून के कई स्तर पर सरकार के बेहतर कामकाज के जरिए पहुंचाया जा सकता है।
हमने सुधार के लिए कई अहम कदम उठाये हैं जैसे डीजल के दामों से नियंत्रण हटाना, एलपीजी की डायरेक्ट सब्सिडी, एफडीआई की सीमा बढ़ाना, रेलवे में विकास आदि।
हकीकत यह है कि विकास को काफी रफ्तार के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है, बल्कि एफडीआई मे 39 फीसदी की बढ़ोत्तरी इसका सूचक है कि विकास की रफ्तार में तेजी आयी है। अप्रैल 2014 की तुलना में फरवरी 2015 में एफडीआई में निवेश 39 फीसदी बढ़ा है।
हाल ही में यह बात सामने आयी है कि अगर युद्ध हुआ तो देश के पास सिर्फ 10-12 दिन का हथियार है।
ये राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला है और यह सही माध्यम नहीं है ऐसे मामलों पर चर्चा का। मैं देश के लोगों को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि हमारा देश जल, थल और वायु सेना और कोस्ट गॉर्ड के वीर जवानों के हाथ में है।
भविष्य में किन सुधारों की आप योजना बना रहे हैं।
हमने जो सुधारात्मक फैसले पिछले एक साल में लिये हैं उसका हमें देशभर की जनता से अच्छा जवाब मिल रहा है, भारत अब निवेश के लिए बेहतर स्थान बनकर उभरा है जिसने हमें ऐसे कदम उठाने का भरोसा दिया है। हमारा अगला फोकस होगा प्रो एक्टिव, प्रो पीपुल और गुड गवर्नेंस रिफॉर्म। वहीं हमारा मुख्य एजेंडा यह रहेगा कि केंद्र और राज्यों के बीच और बेहतर समन्वय स्थापित करके विकास के लिए मिलकर काम कर सके।
आपने पहले ही कई क्षेत्रों में एफडीआई के दरवाजे खोल रखे हैं और किन क्षेत्रों में आप एफडीआई की इजाजत देने की योजना बना रहे हैं।
हमने जो कदम पिछले एक साल में उठाये हैं उसने देश के प्रति दुनिया का नजरिया बदला है और निवेश में बढ़ोत्तरी आयी है। हमारे देश में रोजगार की क्षमता बहुत अधिक है और स्थानीय प्रतिभा भी बहुत है देश में ऐसे में एफडीआई को बढ़ावा देने वाला क्षेत्र शोध और विकास का क्षेत्र होगा। हमने राष्ट्रीय संरचना निवेश फंड की शुरुआत की है। यह कदम विदेशी निवेशकों को इंफ्रास्ट्रक्टर के क्षेत्र में निवेश के लिए आकर्षित करेगा।
अगले वित्तीय वर्ष के लिए आपका क्या लक्ष्य है।
पिछले एक साल का मेरा अनुभव काफी उत्साहवर्धक और हिम्मत देने वाला था। देश के सवा सौ करोड़ लोगों ने में मुझमें भरोसा दिखाया है जिसके चलते सभी आर्थिक सूचको ने उम्मीद से अच्छा संकेत दिया है। मैं अपनी सरकार की क्षमता को कम नहीं आंकना चाहता हूं मुमकिन है मैं जो भी आंकड़ा दूं उससे कहीं अधिक हम लक्ष्य को हासिल करें।
विपक्ष आरोप लगा रहा है कि भूम अधिग्रहण बिल कॉर्पोरेट की मदद करेगा और और आप इसे गरीबों के लिए बता रहे हैं। क्या आपको लगता है कि विपक्ष सही कह रहा है।
मैं राजनैतिक कीचड़ उछालने में नहीं पड़ना चाहता हूं। मैं आश्चर्यचकित हूं देश को 60 सालों तक चलाने के बाद लोग मुझसे ऐसे सवाल पूछते हैं, जो लोग इस बिल पर सवाल उठा रहे हैं उन्हें सरकार के कामकाज और प्रशासन की बिल्कुल भी जानकारी नहीं है।
केंद्र को जमीन की कोई जरूरत नहीं होती है। जमीन राज्यों का मामला होता है जिसपर केंद्र का कोई अधिकार नहीं होता है। 120 साल पुराने भूमि अधिग्रहण बिल में पिछली सरकार ने सिर्फ 120 मिनट में संशोधन किया था।
हमने उस वक्त भी इस बिल का समर्थन किया था, लेकिन उसके बाद कई जगहों से इस बिल को लेकर शिकायत आयी। हम राज्यों का अपमान नहीं कर सकते हैं, किसी को अपनी गलती सुधारने में अभिमानी नहीं होनी चाहिए।
हम इस बिल की खामियों में सुधार करना चाहते हैं वो भी राज्यों की सलाह पर। लेकिन बावजूद इसके अगर कोई राजनीति से प्रेरित हुए किसानों के हित से जुड़े सुझाव देगा तो हम उसे स्वीकार करेंगे।
भूमि अधिग्रण पर अभी भी टकराव बना हुआ है। आप विपक्ष की ऐसी कौन सी मांगे हैं जिन्हें स्वीकार करेंगे।
गांव, गरीब, किसान अगर इससे जुड़े कोई भी सुझाव होगें तो हम उसे राष्ट्रहित में स्वीकार करेंगे।
पिछले एक साल में संघ परिवार और आपको कई बार निशाना बनाया गया जब भी अल्पसंख्यक समुदाय की संस्थाओं पर हमला हुआ। आपका इसपर क्या कहना है।
किसी भी संस्था के खिलाफ कोई भी आपराधिक कृत्य स्वीकार नहीं किया जाएगा और उसकी निंदा होगी। हमलावरों को हर हाल में सजा मिलेगी। मैंने पहले भी कहा है कि किसी भी संप्रदाय विशेष के खिलाफ भेदभाव और हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मेरा मकसद बिल्कुल साफ है सबका साथ सबका विकास।