नई दिल्ली,एजेंसी। क्रिकेट के सबसे तेजतर्रार स्वरूप टी-20 के अत्यंत रोचक टूर्नामेंट इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में सभी फ्रेंचाइजी अपनी-अपनी टीमों को सशक्त बनाने के लिए जमकर रुपये खर्च करती हैं, लेकिन हर बार सितारों से लदी होने के बावजूद कुछ टीमें अपेक्षा से कहीं बदतर प्रदर्शन करती रही हैं।
इन सबमें सबसे रोचक बात यह है कि बेहद खराब प्रदर्शन करने वाली इन टीमों में कुछ खिलाड़ी ऐसे भी हुए हैं, जिन्होंने पूरी टीम से उलट बेहतरीन प्रदर्शन किया है, लेकिन क्रिकेट में हारने वाली टीम के नहीं, जीतने वाली टीम के खिलाड़ी को ही ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ का पुरस्कार दिया जाता है। ऐसे में फिसड्डी टीमों के इन बेहतरीन खिलाड़ियों की तरफ बहुत कम लोगों का ध्यान जा पाता है।
आईपीएल के मौजूदा संस्करण की बात करें तो आंकड़े बहुत दिलचस्प कहानी बयान करते नजर आते हैं। आईपीएल-7 में भारी फेरबदल के साथ उतरी दिल्ली डेयरडेविल्स टीम पिछले संस्करण की नाकामी से अपना पीछा नहीं छुड़ा पाई है और सबसे कम मैच जीतकर सबसे निचले पायदान पर है।
प्रतियोगिता से बाहर हो चुकी दिल्ली डेयरडेविल्स ने भले ही अब तक बेहद लचर प्रदर्शन किया है, लेकिन उनके लिए निचले क्रम पर बल्लेबाजी करने उतरने वाले ज्यां पॉल ड्यूमिनी का प्रदर्शन कुछ और ही कहानी कहता है। ड्यूमिनी ने अब तक 12 मैचों में 51.00 के औसत से 357 रन बनाए हैं। इस दौरान ड्यूमिनी ने दो अर्द्धशतक लगाए हैं, तथा पांच बार नाबाद रहे हैं।
कुछ ऐसा ही हाल प्लेऑफ में प्रवेश करने के लिए जूझ रहे मुंबई इंडियन्स के तेज गेंदबाज लसिथ मलिंगा और सनराइजर्स हैदराबाद टीम के गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार का है। भुवनेश्वर जहां 20 विकेट लेकर पर्पल कैप की दावेदारी में सबसे आगे हैं, वहीं मलिंगा 16 विकेट के साथ पांचवें पायदान पर हैं। सनराइजर्स हैदराबाद के बल्लेबाज डेविड वॉर्नर (434 रन) के प्रदर्शन की बनिस्बत उनकी टीम कदमताल नहीं कर पाई है।
आईपीएल के पिछले कुछ संस्करणों में भी ऐसे कई खिलाड़ी रहे, जिन्होंने निजी स्तर पर तो बेहतरीन प्रदर्शन किया, लेकिन उनकी टीमें फिसड्डी रहीं। आईपीएल के पहले संस्करण में सबसे फिसड्डी रही टीम डेक्कन चार्जर्स के कप्तान एडम गिलक्रिस्ट ने टीम के उलट बल्ले से बहुत उम्दा प्रदर्शन किया था। गिलक्रिस्ट 14 मैचों में 436 रन बनाकर बल्लेबाजों की सूची में छठे स्थान पर रहे थे।
वर्ष 2009 में आईपीएल के दूसरे संस्करण में भी ड्यूमिनी और महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के भाग्य ने उनका साथ नहीं दिया। तेंदुलकर और ड्यूमिनी के बेहतरीन प्रदर्शन के बावजूद उनकी तत्कालीन टीम मुंबई इंडियन्स की नैया डूब गई। ड्यूमिनी ने आईपीएल-2 में पांच अर्द्धशतकों की मदद से 41.3 के औसत से 372 रन बनाए थे, जबकि तेंदुलकर ने 364 रन बनाए थे।
इसी सीजन में मुंबई इंडियन्स के लिए तेज गेंदबाज लसिथ मलिंगा (18 विकेट) ने भी शानदार प्रदर्शन किया था। गेंदबाजी में वह चौथे स्थान पर रहे थे, लेकिन तीनों खिलाड़ियों के अच्छे प्रदर्शन के बावजूद मुंबई इंडियन्स टीम प्लेऑफ तक का भी सफर तय नहीं कर पाई थी।
आईपीएल-3 में लीग चरण में 14 में सिर्फ चार जीत के साथ अंकतालिका में रसातल में रहने वाली टीम किंग्स इलेवन पंजाब के ओवरऑल प्रदर्शन के विपरीत उसके कप्तान महेला जयवर्धने ने पूरे सीजन में बेहतरीन बल्लेबाजी की थी। जयवर्धने ने 13 मैचों में 43.90 के औसत 147.31 के स्ट्राइक रेट से 439 रन बनाए थे और बल्लेबाजों की सूची में छठे स्थान पर रहे थे। इन रनों के दौरान जयवर्धने ने एक शतक भी लगाया था।
वर्ष 2011 का आईपीएल इतिहास का सबसे विशाल आयोजन रहा। आईपीएल-4 में सबसे निचले पायदान पर रहने वाली टीम दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए वीरेंद्र सहवाग ने उम्दा बल्लेबाजी की तो नौंवें पायदान पर रही टीम पुणे वॉरियर्स के गेंदबाज राहुल शर्मा (16 विकेट) सातवें स्थान पर रहे। यह वह साल भी था, जब आईपीएल में सबसे ज्यादा 10 टीमें भाग ले रहीं थीं। वीरेंद्र सहवाग ने दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए 11 मैचों में एक शतक और दो अर्द्धशतकों की मदद से 38.54 के औसत से 424 रन बनाए थे, और उनका स्ट्राइक रेट 176.66 रहा था।
इसी तरह देखा जाए तो फिसड्डी टीमों के लिए अव्वल प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों में आईपीएल-5 में आठवें पायदान पर रहे डेक्कन चार्जर्स के शिखर धवन (569 रन) और कैमरन व्हाइट (479 रन) तथा गेंदबाज डेल स्टेन (18 विकेट) का नाम गुमनाम ही रहा।
इसके बाद आईपीएल के सबसे विवादित छठे संस्करण में सुनील नरेन ने 22 विकेट झटक गेंदबाजों की सूची में छठा स्थान सुनिश्चित किया, लेकिन उनकी टीम कोलकाता नाइटराइडर्स प्लेऑफ में जगह तक नहीं बना पाई।