नई दिल्ली: भारतीय मूल की श्रेया उकील ने मल्टी नेशनल कंपनी विप्रो के खिलाफ दो साल चली लड़ाई को जीतने का दावा किया है. श्रेया के मुताबिक कंपनी के टॉप ऑफिसर्स लिंग के आधार पर उनके साथ भेदभाव करते थे साथ ही उनके पहनावे को लेकर भद्दे कमेंट्स भी करते थे. कंपनी की लीडरशिप पर बड़ा आरोप लगाने वाली श्रेया दावा कर रही हैं कि कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया है वहीं विप्रो का कहना है कि फैसला उनके पक्ष में है.
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि कंपनी की टॉप लीडिरशिप ने श्रेया के साथ लिंग के आधार पर भेदभाव किया. वहीं कंपनी की दलील है कि कोर्ट ने उस फैसले को बरकरार रखा है जिसमें उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया था.
श्रेया ने 2014 में विप्रो के खिलाफ लंदन के ट्रिब्यूनल में मुकदमा दर्ज करते हुए यह आरोप लगाया था कि कंपनी में जेंडर के आधार पर उनके साथ भेदभाव किया जाता है. श्रेया तब विप्रो में यूरोप सेल्स डिपार्टमेंट की हेड थीं.
श्रेया के आरोपों के मुताबिक एक ही पोस्ट पर काम करने के बावजूद कंपनी के अन्य कर्मचारियों के मुकाबले उन्हें कम सैलरी दी जाती है. उनके बॉडी और पहनावे को लेकर भद्दे कमेंट किए जाते हैं. इतना ही नहीं ऑफिस के कुछ सहयोगी उन्हें ‘तीखा बोलने वाली’, ‘तुच्छ’, ‘अन यूरोपियन’ और ‘बिच’ कहकर बुलाते हैं.
श्रेया का यह भी आरोप था कि कंपनी का सीनियर ऑफिसर मनोज पूंजा अपनी पॉवर का गलत इस्तेमाल कर शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर करता था.
श्रेया के दावे के मुताबिक उन्होंने 2014 में इस्तीफा दिया था लेकिन कंपनी ने उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया. लेकिन बाद में जब वे सिकलीव पर चली गईं तो कंपनी ने चार दिन बाद उन्हें नौकरी से निकाल दिया.
श्रेया उकील ने इस पूरे मामले की शिकायत विप्रो के चेयरमैन अजीम प्रेमजी से भी की थी. प्रेमजी ने श्रेया को फेयर जांच का भरोसा दिया था. श्रेया ने विप्रो चेयरमैन को अपना इस्तीफा भी भेजा था लेकिन तब उसे मंजूर नहीं किया गया.
अदालत के आए फैसले के बाद श्रेया का कहना है कि यह लड़ाई बराबरी और सम्मान की थी. श्रेया को उम्मीद है कि इस फैसले के बाद तमाम कंपनियां महिला कर्मचारियों के प्रति अपने व्यवहार को लेकर समीक्षा करेंगी और तय करेंगी कि महिलाओं को बराबरी और सम्मान मिले.