नई दिल्ली,(एजेंसी)06 अगस्त। दिल्ली प्रदेश में हुकूमत की लड़ाई चरम पर पहुंच गई है। आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने आधिकारिक फरमान जारी कर एलान कर दिया है कि अब वह अपनी फाइलें मंजूरी के लिए उपराज्यपाल नजीब जंग को नहीं भेजेगी।
दूसरी ओर जंग ने सर्किल रेट की अधिसूचना जारी किए जाने संबंधी फाइल तुरंत राजनिवास को भेजने का आदेश दिया है। समझा जा रहा है कि यह मुद्दा दिल्ली में शासन के लिहाज से बड़ी मुसीबत साबित हो सकता है।
सरकार ने जारी किया था सर्कुलर
आपको बता दें कि दिल्ली के कानून मंत्री कपिल मिश्र ने गत 30 जुलाई को एक सकरुलर जारी किया था। इसमें उन्होंने अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगियों से कहा है कि दिल्ली में सरकार का मतलब उपराज्यपाल नहीं बल्कि मुख्यमंत्री की अगुआई वाला दिल्ली मंत्रिमंडल है।
लिहाजा वे अपने विभागों की फाइलें उपराज्यपाल जंग को नहीं भेजें। इधर, बुधवार को जंग ने सरकार को आदेश दिया कि वह कृषि योग्य भूमि के सर्किल रेट की अधिसूचना जारी किए जाने संबंधी फाइल राजनिवास को भेजे। इससे उसकी अधिसूचना से संबंधित कानूनी व संवैधानिक पहलू की पड़ताल की जा सकेगी।
जाहिर है कि यदि सरकार ने फाइल नहीं भेजी तो वही स्थिति पैदा होगी जो दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष पद पर स्वाति मालीवाल की नियुक्ति को लेकर पैदा हुई थी। उस मामले में सरकार को जंग के आगे झुकना पड़ा था।
सरकार नहीं भेजना चाहती फाइल
दिल्ली सरकार चाहती है कि कृषि योग्य भूमि के सर्किल रेट तय करने से संबंधित फाइल उपराज्यपाल जंग को नहीं भेजी जाए। राजस्व विभाग खुद ही इसकी अधिसूचना जारी कर दे, लेकिन राजस्व विभाग से लेकर विधि व न्याय विभाग के अधिकारी तक यह मान रहे हैं कि संबंधित फाइल पर उपराज्यपाल की स्वीकृति जरूरी है।
इसी वजह से अब तक सर्किल रेट की अधिसूचना नहीं जारी हुई है। उच्चपदस्थ सूत्रों ने बताया कि बीते एक महीने से यह मामला राजस्व विभाग और मुख्य सचिव कार्यालय के बीच फंसा हुआ है। सूत्रों के अनुसार केजरीवाल सरकार ने अधिसूचना जारी करने के लिए लगातार दूसरी बार फाइल राजस्व विभाग को भेज दी है।
जानकारों का कहना है कि दिल्ली सरकार का सियासी नेतृत्व नौकरशाही पर यह दबाब बनाता रहा है कि फाइल उपराज्यपाल को नहीं भेजनी है जबकि अधिकारी इसे जरूरी करार देते रहे हैं। इस बीच में उपराज्यपाल द्वारा खुद ही संबंधित फाइल मंगा लेने के बाद यह देखना दिलचस्प है कि केजरीवाल सरकार क्या कदम उठाती है।