नई दिल्ली,(एजेंसी)28 मई। उत्तराखंड में चकराता से कुछ दूरी पर देवदार का बेहद ही विस्तृत जंगल है कोटी कनासर।इस जंगल में खड़ा है देश का सबसे पुराना और मोटा देवदार का विशाल वृक्ष।
जो चुपचाप सैंकड़ों सालों से खड़ा हमें जीवन दायिनी वायु दे रहा है और बदले में हमसे कुछ भी नहीं लेता है। यह वृक्ष,चंद साल जीने वाले आदमी का गुरूर भी तोडता हैं जो चंद दिन जीने के बावजूद दूसरे का सब कुछ लूटने की फिराक में रहता है।
गजब का अनुभव
उत्तराखंड के वरिष्ठ लेखक और पत्रकार विजेन्द्र रावत कहते हैं कि इस वास्तव में बड़े विशाल पेड़ को देखना अपने आप में किसी अनुभव से कम नहीं है। इसे देखते ही समझ आ जाता है कि ये सैकड़ों साल पुराना होगा।
चीड़ का वृक्ष
इसके साथ ही चकराता से करीब 60 किलोमीटर आगे चलने पर टौंस नदी के किनारे एशिया के सबसे लम्बे चीड के वृक्ष की समाधि है जो करीब पांच सौ साल जीने की बाद अब इस समाधि में सोया है। रावत कहते हैं कि ये हमें बताते हैं कि कुछ काम कर ले बंदे तू भी चंद समय बाद जाने वाला है।
सही बताऊँ इन दोनों पेड़ों से सामने किसी मंदिर से ज्यादा सीख और सुकून मिलता है। कभी मौक़ा मिले तो इनके दर्शन आप जरूर कीजिये। दरअसल सभी शहरों और कस्बों में आपको इस तरह के पुराने पेड़ मिल जाएँगे। इन्हें देखकर समझ आता है कि इन्होंने कितने ही वसंत देखे हैं।
बचाओं पेड़
राजधानी दिल्ली के कई इलाकों में बहुत ही पुराने पेड़ देखे जा सकते हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि देश और समाज को नए-पुराने पेड़ों को उजडने से बचाना चाहिए।