हमारे देश में कई ऐसे मंदिर हैं जो अपने रहस्य के लिए जाने जाते हैं. आज हम ऐसे ही एक और मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं. कुछ मंदिर चमत्कार के लिए जाने जाते है जिसके चलते ही उन मंदिरो में लोगों का जमावड़ा लगा रहता है. तो चलिए आपको बता देते हैं इस अनोखे मंदिर के बारे में जहां देवी माँ हमेशा आग उगलती रहती है. जानकारी दे दें, इसे माता के इक्यावन शक्तिपीठों में से एक बताया जा रहा है.इसे ज्वाला माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यह मंदिर हिमाचल के कांगड़ा घाटी के दक्षिण में 30 किमी की दूरी पर स्थित है. बता दें, इस मंदिर में मां की जिहवा गिरी थी जिसे चलते मां के मुख से आग निकलती रहती है. वहीं इस मंदिर की खोज पांडवों ने की थी. सबसे ज्यादा हैरत की बात तो ये है कि इस मंदिर में स्थित ताम्बे के पाइप से प्राकृतिक गैस निकलती रहती है इसके अलावा अग्नि की विभिन्न नौ लपटें भी निकलती है जो अलग-अलग देवियों को समर्पित हैं. …
Read More »महिलाएं दूर-दूर से सोने के लिए आती है इस मंदिर में , दूर होती है ये बड़ी समस्या
हर मंदिर की अपनी मान्यता होती है। कई बार बीमारी का इलाज आसानी से नहीं मिलता और कई बार छोटी सी हरकत से ही आपकी बीमारी दूर हो जाती है। ऐसे ही भारत में धार्मिक बहुत हैं जिन्हें भगवान में बहुत आस्था है और उसी के चलते वो कई बार अपनी बीमारी का इलाज भी कर लेते हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारें में बता रहे है जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे। सोने के लिए आती है महिलाएं: हिमाचल के मंडी जिला के लड़भडोल तहसील के सिमस गांव में एक देवी का मंदिर है जहां ये मान्यता है कि निसंतान महिलाओं के फर्श पर सोने से संतान की प्राप्ति होती है। यहां पर सिर्फ सोने से ही महिलाओं को संतान प्राप्ति हो सकती है। इस मंदिर के चमत्कारिक किस्सों की वजह से इस मंदिर को संतान दात्री भी कहा जाता है। माता सिमसा या देवी सिमसा को संतान-दात्री के नाम से भी जाना जाता है। होती है संतान प्राप्ति: नवरात्रों में होने वाले इस विशेष उत्सव को स्थानीय भाषा में सलिन्दरा कहा जाता है। …
Read More »इतिहास के पन्नों से- उत्तराखंड में ख़ड़ा है देश का सबसे पुराना देवदार का पेड़
नई दिल्ली,(एजेंसी)28 मई। उत्तराखंड में चकराता से कुछ दूरी पर देवदार का बेहद ही विस्तृत जंगल है कोटी कनासर।इस जंगल में खड़ा है देश का सबसे पुराना और मोटा देवदार का विशाल वृक्ष। जो चुपचाप सैंकड़ों सालों से खड़ा हमें जीवन दायिनी वायु दे रहा है और बदले में हमसे कुछ भी नहीं लेता है। यह वृक्ष,चंद साल जीने वाले आदमी का गुरूर भी तोडता हैं जो चंद दिन जीने के बावजूद दूसरे का सब कुछ लूटने की फिराक में रहता है। गजब का अनुभव उत्तराखंड के वरिष्ठ लेखक और पत्रकार विजेन्द्र रावत कहते हैं कि इस वास्तव में बड़े विशाल पेड़ को देखना अपने आप में किसी अनुभव से कम नहीं है। इसे देखते ही समझ आ जाता है कि ये सैकड़ों साल पुराना होगा। चीड़ का वृक्ष इसके साथ ही चकराता से करीब 60 किलोमीटर आगे चलने पर टौंस नदी के किनारे एशिया के सबसे लम्बे चीड के वृक्ष की समाधि है जो करीब पांच सौ साल जीने की बाद अब इस समाधि में सोया है। रावत कहते हैं कि ये हमें बताते हैं कि कुछ काम कर …
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