केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) के नए निर्देश के मुताबिक पीने योग्य पानी का दुरुपयोग भारत में एक लाख रुपये तक का जुर्माना और पांच वर्ष तक की जेल की सजा के साथ दंडनीय अपराध होगा।
दरअसल, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने राजेंद्र त्यागी की ओर से 24 जुलाई 2019 को पानी की बर्बादी पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की थी। एनजीटी ने 15 अक्टूबर 2019 को केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) को आदेश दिया था कि वह पीने के पानी और भूगर्भ जल के दुरुपयोग को रोकने के लिए निर्देश जारी करें। इसके बाद सीजीडब्ल्यूए ने एनजीटी के आदेश का अनुपालन कर 8 अक्तूबर 2020 को सभी राज्यों को पत्र लिखा।
केंद्रीय भूजल प्राधिकरण ने देश के सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों के नगरीय निकायों से कहा है कि वे पीने के पानी और भूगर्भ जल के दुरुपयोग को रोकने के लिए एक तंत्र विकसित करें। साथ ही आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ दंडात्मक उपाय करें।
सीजीडब्ल्यूए ने पानी की बर्बादी और इसके अनावश्यक उपयोग पर रोक लगाने के लिए 8 अक्तूबर, 2020 को एक आदेश जारी किया। इस आदेश में पर्यावरण (संरक्षण) कानून, 1986 की धारा पांच की शक्तियों का उपयोग करते हुए प्राधिकरणों और देश के सभी लोगों को संबोधित करते हुए इसमें कहा गया है –
इस आदेश के जारी होने की तारीख से संबंधित नागरिक निकाय जो कि राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में पानी आपूर्ति प्रणाली को संभालती हैं और जिन्हें जल बोर्ड, जल निगम, जलदाय विभाग, नगर निगम, नगर पालिका, विकास प्राधिकरण, पंचायत या किसी भी अन्य नाम से पुकारा जाता है, वो यह सुनिश्चित करेंगी कि भूजल से मिलने वाले पीने योग्य पानी की बर्बादी और उसका दुरुपयोग नहीं होगा।
इस आदेश का पालन करने के लिए सभी एक तंत्र विकसित करेंगी और आदेश का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही हो।
देश में कोई भी व्यक्ति भू-जल स्रोत से मिलनेवाले पीने योग्य पानी का दुरुपयोग या बर्बादी नहीं कर सकता है।