नई दिल्ली,एजेंसी-12 जून। उत्तर प्रदेश सहित देश के विभिन्न भागों में औरतों व लड़कियों पर हो रहे अमानवीय अत्याचारों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी झकझोर कर रख दिया है। इन मामलों को राजनीति से दूर रखने के पैरोकार मोदी ने मुलायम सिंह की टीका-टिप्पणियों पर जोरदार हमला किया। उन्होंने कहा कि नेताओं को ऐसी घटनाओं के ‘मनोवैज्ञानिक विश्लेषण’ से बचना चाहिए।
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए जब प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में बोलना शुरू किया तो सबसे ज्यादा व्यथित वे इसी मुद्दे पर नजर आए। सदन में ही बैठे सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के बोल संभवत: उन्हें याद आ रहे होंगे। मोदी ने साफ कर दिया कि दुष्कर्मी से हमदर्दी और नारी सम्मान को ठेस पहुंचाने वाली टिप्पणियां भी बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। मोदी ने कहा कि नेता दुष्कर्म की घटनाओं का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करना बंद करें। ऐसा करके वे मां-बहनों के सम्मान से खिलवाड़ कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने नेताओं को ऐसी टिप्पणियों के बजाए मौन रहने की नसीहत दी है। मुलायम कई बार ऐसी टिप्पणियां कर चुके हैं। दुष्कर्म जैसे अपराधों के दोषियों की तरफदारी करते हुए उन्होंने एक बार यहां तक कह दिया था कि ऐसी गलती तो लड़कों से हो जाती है। उनकी पार्टी के कई और नेताओं ने भी ऐसी ही संवेदनहीन टिप्पणियां की हैं।
उत्तर प्रदेश के बदायूं कांड से व्यथित प्रधानमंत्री ने महिलाओं के प्रति हिंसा की बदायूं, मणिपुर व अन्य जगह घटित हुई ताजा घटनाओं पर चिंता और अफसोस जताया। उन्होंने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान सबकी जिम्मेदारी है। सरकार या सदन में बैठे लोगों की ही नहीं बल्कि सभी सवा सौ करोड़ देशवासियों का दायित्व है कि वे नारी का सम्मान करें और उन्हें सुरक्षा दें। मुलायम जैसे नेताओं के बयानों से आहत प्रधानमंत्री ने मार्मिक शब्दों में पूछा, ‘क्या हम इस स्तर पर पहुंच गए हैं कि ऐसे विश्लेषण कर रहे हैं? क्या हम मौन नहीं रह सकते?’
इतना ही नहीं अपने वक्तव्य के दौरान मोदी सरकार के वादों और दावों को हकीकत में जमीन पर उतारने की चुनौती दे चुके मुलायम की प्रधानमंत्री ने चुटकी भी ली। उन्होंने कहा कि ‘मुलायम सिंह जी ने कहा है कि सरकार हमने भी चलाई है, लेकिन इसे कैसे करेंगे। अरे मुलायम जी जैसे अनुभवी लोग हैं तो हम उनका सुझाव लेकर वह काम कर लेंगे।’
इससे पहले सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने अपना अनुभव बताते हुए कहा, हमने बड़े-बड़े बहुमत देखे हैं। इंदिरा जी को 1971 में मिला बहुमत, राजीव गांधी को 1984 में मिला बहुमत, लेकिन घमंड नहीं करना चाहिए। मैं सिर्फ आपको यह याद दिला रहा हूं। इस पर कुछ भाजपा सदस्य खड़े होकर विरोध जताने लगे।
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