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कश्मीर पर मोदी का संयुक्त राष्ट्र से पाक को करारा जवाब


न्यूयॉर्क, (एजेंसी) 27 सितम्बर । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर का मुद्दा उठाने और 1948 के यूएन प्रस्ताव के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में जनमत संग्रह कराने की मांग पर बेहद करारा जवाब दिया है। शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए मोदी ने पाकिस्तान को दो टूक शब्दों में कहा कि इस मंच पर बात उठाने से कुछ होने वाला नहीं है।

MODI IN UN

मोदी ने साथ ही पाकिस्तान को नसीहत देते हुए कहा कि बेहतर होता वह कश्मीर के बाढ़ पीडि़तों पर ध्यान देता। मोदी ने पाकिस्तान से कहा कि वह बातचीत के लिए आतंक रहित माहौल बनाए।

संयुक्त राष्ट्र में मोदी के भाषण की खास बाते

संयुक्त राष्ट्र महासभा को मोदी ने हिंदी में संबोधित किया। इस तरह वह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बाद हिंदी में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने वाले दूसरे पीएम बने। मोदी का भाषण बेहद नपा-तुला तुला था। भाषण का एक-एक शब्द तौलकर बोल रहे मोदी संयुक्त राष्ट्र के मंच से कश्मीर मुद्दा उठाने पर पाकिस्तान को खरी-खरी सुनाने से नहीं चूके।
उन्होंने कहा, ‘हमारा भविष्य हमारे पड़ोस से जुड़ा हुआ है। इसीलिए हमारी सरकार ने पहले ही दिन से पड़ोसी देशों से मित्रता और सहयोग बढ़ाने पर पूरी प्राथमिकता दी है। पाकिस्तान के प्रति भी मेरी यही नीति है। मैं पाकिस्तान से मित्रता और सहयोग बढ़ाने के लिए पूरी गंभीरता से शांतिपूर्ण वातावरण में बिना आतंक के साए के साथ द्विपक्षीय वार्ता करना चाहता हूं।‘

मोदी ने आगे कहा, लेकिन पाकिस्तान का भी यह दायित्व है कि उपयुक्त वातावरण बनाए और गंभीरता से द्विपक्षीय वार्ता के लिए अनुकूल वातावरण बनाए। और इस मंच पर बात उठाने से समाधान के प्रयास सफल होंगे, इसपर कई लोगों को शक है।
आज हमें बाढ़ से पीडि़त कश्मीर के लोगों को सहायता देने पर ध्यान देना चाहिए। जो हमने भारत में बड़े पैमाने पर आयोजित किया है। और इसके लिए भारत के कश्मीर का ख्याल रखने तक ही हम रुके नहीं हैं। हमने पाकिस्तान को भी कहा… क्योंकि उस क्षेत्र में भी बाढ़ का असर था।

मोदी ने कहा कि हमने पाकिस्तान को भी कहा कि हम जिस प्रकार कश्मीर में बाढ़ पीडि़तों की सेवा कर रहे हैं, हम पाकिस्तान में भी बाढ़ पीडि़तों की सेवा करने के लिए तैयार हैं। हमने उनके सामने से प्रस्ताव रखा। हम विकासशील विश्व का हिस्सा हैं। लेकिन हम अपने सीमित संसाधनों के सभी के साझा करने के इच्छुक हैं, जिन्हें इनकी नितांत आवश्कता है।

इसके अलावा मोदी कई और मुद्दों पर भी बोले

आतंक को पनाह दे रहे हैं कई देशः हम पिछले चार दशक से आतंकवाद का संकट झेल रहे हैं। आतंकवाद नए रूप और नाम से प्रकट होता जा रहा है। इसके खतरे से छोटा या बड़ा, उत्तर में हो या दक्षिण में, पूरब में हो या पश्चिम में, कोई भी देश मुक्त नहीं है। मुझे याद है जब मैं 20 साल पहले विश्व के कुछ नेताओं से मिलता था और आतंकवाद की चर्चा करता था तो उनको यह बात गले नहीं उतरती थी। वह इसे लॉ ऐंड ऑर्डर की प्रॉब्लम बताते थे। आज पूरी दुनिया आतंकवाद के प्रसार को देख रहा है। आज भी कई देश आतंकवादियों को अपने क्षेत्र में पनाह दे रहे हैं।

ऽ भारत वह देश है जहां मानवता का छठा हिस्सा आबाद है। भारत ऐसे व्यापक पैमाने पर आर्थिक व समाजिक बदलाव से गुजर रहा है, जिसका उदाहरण इतिहास में दुर्लभ है।

भारत एक ऐसा देश है जिसकी ‘वसुधैव कुटुम्बकम‘ की परंपार रही है। भारत एक ऐसा देश है जहां प्रकृति से संवाद है। जहां प्रकृति से संघर्ष नहीं होता। भारत इसी जीवन दर्शन के साथ आगे बढ़ता रहा है।
यूएन के होने के बाद भी हमने कई समूह यानी श्जीश् बनाए हैं। अच्छा होता कि जी-4 या जी-8 की जगह जी-ऑल की बात होती।

टेरररिजम एक ऐसी समस्या है जिससे पूरी दुनिया पीडि़त है। इससे निपटने के लिए सबको एकसाथ आना होगा लेकिन कई देश अभी भी अपनी जमीन पर आतंकवादियों को पनाह दे रहे हैं। आतंकवाद उनकी नीति का हिस्सा है।

मोदी ने वैश्विक नेताओं से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को अंगीकार करने की अपील की। उन्होंने कहा, जब हम स्वास्थ्य, होलिस्टिक विकास की बात करते हैं तो मैं आपको भारत की अमूल्य चीज योग के बारे में बताता हूं। यह प्रकृति और मनुष्य के बीच की कड़ी है। यह महज व्यायाम नहीं है। यह क्लाइमेट चेंज के खिलाफ लड़ने में हमारी मदद कर सकता है।


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