नई दिल्ली,(एजेंसी)08 अगस्त। विवादों में घिरी राधे मां ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए महाराष्ट्र के औरंगाबाद में कहा कि मुझे कुछ नहीं कहना है, मेरा न्याय ऊपर वाला करेगा। सूत्रों के मुताबिक, हाथों में त्रिशूल और गुलाब का फूल लिए राधे मां जब मीडिया के सामने आईं तो उनके समर्थक माता के जयकारे लगा रहे थे।
खुद को देवी का अवतार बताने वाली राधे मां पर मुंबई के बोरीवली थाने में कांदिवली की महिला ने दहेज उत्पीड़न के लिए उसके पति को उकसाने का मामला दर्ज करवाया है। उसके बाद से राधे मां अंडरग्राउंड बताई जा रही थी और यह भी चर्चा थी कि वह देश छोड़ सकती हैैं।
समाज में बहुत से लोग जिन्हें राधे मां के नाम से पुकार कर उनका गुणगान करते हैं, वह होशियारपुर के सब डिवीजन मुकेरियां की गुड़िया हैं। बब्बो नाम भी रहा है। समय की करवट के साथ वह राधे मां के रूप में विख्यात होती गईं और गुड़िया या बब्बो बीते जमाने की बात हो गई। और तो और राधे मां का तमगा मिलते ही साधारण परिवार से संबंध रखने वाली गुड़िया का रहन-सहन रसूखदार हो गया।
पंजाब के जिले गुरदासपुर में पैदा हुई गुड़िया का विवाह मुकेरियां में हुआ था। घर की खुशियों के लिए गुड़िया के पति दुबई में भी काफी समय तक रहे। वहां से आने के बाद उनके पति मुकेरियां में हलवाई की दुकान करने लगे। गुड़िया घर में सिलाई का काम करती थीं। इस बीच, मुकेरियां में डेरा परमाहंस बाग मंदिर आने-जाने लगीं। इनकी सेवा से प्रभावित होकर महंत रामादीन दास ने गुरु दीक्षा दे दी थी। थाना रोड नजदीक भारतीय स्टेट बैैंक के पास गुड़िया घर में चौकी लगाने लगाने लगी। छोटे से घर में चौबारे पर लगने वाली चौकी में धीरे-धीरे भक्तों की भीड़ बढ़ने लगी। गुड़िया का प्रचार बढ़ता गया।
करीब 18 साल पहले उनके के पास मुंबई का एक भक्त आया। चौकी से फायदा होने पर वह इनका मुरीद हो गया। चर्चा है कि वह ही शख्स गुड़िया को मुंबई ले गया। इसके बाद उनको गुड़िया से राधे मां के नाम से पुकारा जाने लगा। मुंबई पहुंचते ही राधे मां की चौकी में आम नहीं, बल्कि खास भक्तों की भीड़ उमड़ने लगी। मायानगरी में पैर जमने पर पति व दो बेटे भी वहां शिफ्ट हो गए।
अब मुकेरियां के राधे मां के घर में चौकी नहीं लगती है। कभी-कभार आने पर राधे मां मुकेरियां में खुद के बनाए गए खानपुर के मंदिर में रुकती हैैं। डेरे का काम गुड़िया यानी राधे मां की सगी बहन रज्जी मासी संभालती है।