नई दिल्ली,(एजेंसी)30 जुलाई। मुंबई धमाकों में याकूब मेमन को फांसी की सजा मिल चुकी है, लेकिन यह सवाल उठना लाजमी है कि इन धमाकों से जुड़े एक और मास्टरमाइंड दाऊद इब्राहिम को आखिर कब तक सजा मिल पाएगी। दाऊद को भारत के साथ-साथ अमेरिका ने भी आतंकी घोषित कर रखा है। भारत मुंबई सीरियल ब्लास्ट के बाद से ही दाऊद को पकड़ना चाहता है।
माना जाता है कि मुंबई धमाकों से कुछ समय पहले ही दाऊद दुबई से कराची चला गया था और तब से वहीं रह रहा है, लेकिन पाकिस्तान इस मामले में कभी भारत के साथ नजर नहीं आया। इंटरपोल की वॉन्टेड लिस्ट में शामिल दाऊद के प्रत्यर्पण के लिए भारत पाकिस्तान से कई बार चर्चा कर चुका है। पाक हर बार दाऊद के पाकिस्तान में न होने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लेता है। दाऊद के खिलाफ सभी सबूतों के होने के बाद भी भारत आज तक उसकी गिरफ्तारी का इंतजार कर रहा है।
भारत का सबसे बड़ा गुनहगार दाऊद विदेश में रह कर भी भारत में अपने सारे काले धंधे चलाता रहा है। मुंबई में एक गैंग के लिए छोटे-मोटे काम करने वाला दाऊद वक्त बीतने के साथ इतना खतरनाक हो गया कि आज सारी दुनिया को उसकी तलाश है।
कहा जाता है कि कभी मुंबई शहर को दाऊद जान से भी ज्यादा प्यार करता था। लेकिन बदलते वक्त के साथ जैसे इंसान की पहचान बदलती है, वैसे ही दाऊद की भी बदली। शुरुआत में दाऊद मुंबई में एक गैंग के लिए छोटा-मोटा काम करता था। उसके बाद वो दुबई चला गया। दुबई पहुंचकर दाऊद ने अपने पैर पसारने शुरू कर दिए। धीरे धीरे उसके काले धंधे फलने-फूलने लगे। एक ऐसा वक्त आया, जब दाऊद ने बॉलीवुड में बनने वाली फिल्मों के लिए पैसा देना शुरू किया और पूरी इंडस्ट्री को अपनी जेब में रखने की तैयारी कर ली।
दुबई जाकर भी दाऊद का रिश्ता मुंबई से जस का तस बना रहा। लेकिन 12 मार्च, 1993 को सबकुछ बदल गया। मुंबई में हुए धमाकों ने चारों तरफ हाहाकार मचा दिया। इन विस्फोटों में 257 लोगों की जान गईं। इन धमाकों के लिए अंडर वर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम को दोषी करार दिया गया। तब से दाऊद को भारत लाने और सजा देने की मांग उठती रही है। लेकिन उसके सही ठिकाने पर कभी पुख्ता मुहर नहीं लग पाई।
भारत और पाकिस्तान के अलावा दाउद का कारोबार संयुक्त अरब अमीरात, कनाडा, और ऑस्ट्रेलिया में भी फैला हुआ है। ऑस्ट्रेलिया में दाउद के कई शॉपिंग मॉल भी हैं। सूत्रों के मुताबिक दाउद और उसके रिश्तेदारों के पास मुंबई में ही करीब दो हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की दौलत है। इसमें मुंबई के कोलाबा, क्रॉफोर्ड मार्केट, भिंडी बाजार, बांद्रा, ओसीवारा और वर्सोवा में फैली हुई कई इमारतें भी हैं। इनमें से ज्यादातर बेनामी हैं।
दाऊद की डी कंपनी का काला कारोबार ब्रिटेन और पश्चिमी यूरोप में भी फैला हुआ है। खुफिया जानकारी के मुताबिक इन देशों में दाऊद बड़े पैमाने पर नशीली दवाओं का कारोबार चला रहा है। ऐसे भी सबूत सामने आए जिससे पता चला दाऊद की कंपनी आतंकियों की भी मदद कर रही है।
2003 में दाऊद को अमेरिका ने दुनिया के तमाम बड़े आतंकियों की लिस्ट में शामिल किया और उसके सभी आपरेशन को खत्म करने का फरमान जारी किया। खुफिया एंजेसियों के मुताबिक, दाउद भारत में लश्कर ए तैयबा की आतंकी गतिविधियों के लिए पैसा भी मुहैया कराता है।
भारत का कहना है कि दाउद पाकिस्तान में शरण लिए हुए है और उसे वहां राजनीतिक और आर्थिक संरक्षण हासिल है। हालांकि पाकिस्तान अपने वतन में दाऊद की मौजूदगी से हमेशा इंकार करता रहा है। लेकिन वक्त-वक्त पर ऐसे कई सबूत सामने आए हैं, जिससे इस बात की तस्दीक होती रही है कि दाऊद पाकिस्तान में ही पनाह लिए हुए है।
अब देखना यह है कि दाऊद को अपने गुनाहों की सजा कब मिलेगी?