हाजीपुर,(एजेंसी)21 जुलाई। विधानसभा चुनाव ने दस्तक दे दी है। राजनीतिक रंग धीरे-धीरे परवान चढऩे लगा है। गठबंधन ने भी करीब-करीब आकार ले लिया है। नए समीकरण के साथ एक ओर एनडीए तो दूसरी ओर महागठबंधन मैदान में है।
सीटों को लेकर अंदर ही अंदर रणनीति बननी शुरू हो गई है। ऐसे में हर बार की तरह इस बार भी दिग्गजों ने खुद एवं परिवार के सदस्यों के लिए सीट का चयन कर रणनीति बनानी शुरू कर दी है। इन सबके बीच बगावत का दौर भी शुरू हो गया है। टिकट को लेकर आम और खास के बीच राजनीतिक जंग भी शुरू हो गई है।
एक नजर बगावत के वर्तमान स्वरूप पर। स्थानीय निकाय से हाल ही में हुआ विधान परिषद का चुनाव इसका ताजा उदाहरण है। यह विधानसभा का सेमीफाइनल माना गया था। अनुमान के अनुरूप मुकाबला महागठबंधन एवं एनडीए के बीच ही हुआ।
महागठबंधन के उम्मीदवार सुबोध कुमार राय ने वैशाली की सीट पर जीत दर्ज कराई। इस पूरे मामले में बगावत की खास भूमिका रही। एनडीए के उम्मीदवार अजय कुशवाहा के खिलाफ भाजपा के बागी प्रत्याशी राजेश कुमार सिंह ने चुनाव मैदान में कूदकर नैया डूबो दी।
वैशाली की दो हाई प्रोफाइल सीट महुआ एवं राघोपुर में चुनाव पूर्व ही बगावत का दौर शुरू हो गया है। बीते दिनों महुआ में लालू की सभा में उनके पुत्र तेज प्रताप यादव के चुनाव लडऩे की इच्छा जाहिर करने के बाद यहां से राजद के पूर्व प्रत्याशी जागेश्वर राय के समर्थकों ने विरोध किया। बगावत की नींव रख दी।
उधर राघोपुर में लालू के दूसरे बेटे के चुनाव लडऩे की चर्चा जोर पकडऩे के बीच जदयू के राघोपुर विधानसभा क्षेत्र कार्यकर्ता सम्मेलन में जमकर हंगामा हुआ। पूर्व एमएलसी एवं बीस सूत्री के वर्तमान प्रदेश उपाध्यक्ष गुलाम गौस को मंच छोड़कर भागना पड़ा। यानी यहां भी बगावत के स्वर मुखर हो गए।
वहीं अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भी एक-एक सीट पर कई-कई दावेदार होने को लेकर बगावत की प्रबल आशंका है। बात किसी एक दल या गठबंधन की नहीं बल्कि हर ओर है। वैशाली में बगावत के पुराने इतिहास पर नजर दौड़ाएं तो पिछले विधानसभा चुनाव में बगावत ने राजद-लोजपा गठबंधन का सूपड़ा साफ ही कर दिया था। जिले के आठ विधानसभा क्षेत्रों में एक पर भी दोनों दलों के किसी उम्मीदवार को कामयाबी नहीं मिली थी।
वैशाली में बगावत का असर
महुआ : पिछली बार महुआ ने तो बगावत का नया इतिहास ही लिख दिया था। यहां से जागेश्वर राय को टिकट मिलने को लेकर राजद-लोजपा गठबंधन में बगावत की आंधी चल पड़ी थी। महुआ से रिकार्ड 31 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे।
जदयू ने राजद प्रत्याशी को 21925 मतों के अंतर से हराया था जबकि अल्पसंख्यक उम्मीदवारों ने 17822 मत काट लिए थे। ये वो मत थे जो राजद को मिलते। वहीं अन्य यादव उम्मीदवारों ने भी करीब 15 हजार मत झटक लिए थे।
महनार : महनार भी बगावत का बड़ा उदाहरण बना था। यहां से भाजपा के डा. अच्युतानंद को 29754 एवं लोजपा के रामा किशोर सिंह को 27265 मत मिले थे। राजद के बागी पूर्व मंत्री मुंशी लाल राय ने 20855 मत काटकर लोजपा की जीत का रास्ता रोक दिया था।
राघोपुर : सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के क्षेत्र राघोपुर में भी बगावत ने राजद की नैया डुबो दी थी। यादव एवं मुसलमान के समीकरण वोट ने यहां एक अल्पसंख्यक प्रत्याशी ने 1524 एवं तीन यादव प्रत्याशी ने करीब आठ हजार मत काटे थे। महज 13 हजार मतों के अंतर से राबड़ी देवी को हार का सामना करना पड़ा था।
लालगंज : लालगंज में बगावत का असर यह हुआ कि यहां से लोजपा के प्रत्याशी विनोद कुमार पंजियार तीसरे नंबर पर चले गए। अन्नू शुक्ला को यहां 58210 मत एवं लोजपा के पंजियार को 22771 मत मिले, जबकि राजद के बागी राजकुमार साह ने 34065 मत झटककर लोजपा प्रत्याशी की जीत का रास्ता रोक दिया था।
वैशाली : वैशाली में बगावत का असर कम रहा था। यहां राजद से वीणा शाही मैदान में थी। लोजपा नेत्री अंजनी सिन्हा निर्दलीय चुनाव मैदान में कूद पड़ी। कई अल्पसंख्यक एवं यादव उम्मीदवारों के भी मैदान में कूद जाने से राजद प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा।
हाजीपुर : हाजीपुर से लोजपा के प्रत्याशी राजेन्द्र राय के खिलाफ युवा लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनोज शुक्ला मैदान में बागी प्रत्याशी के रूप में कूद पड़े और 11226 मत झटककर अपने ही दल के प्रत्याशी की जीत का रास्ता रोक दिया था। कई अन्य अल्पसंख्यक एवं यादव प्रत्याशियों ने भी वोट झटक लिए थे।
राजापाकर : राजापाकर में लोजपा प्रत्याशी गौरी शंकर पासवान के खिलाफ लोजपा के ही सड्डू भगत समेत कई आधार वोट से जुड़े प्रत्याशियों ने चुनाव मैदान में कूदकर जीत का रास्ता रोक दिया था।
पातेपुर : पातेपुर में भी आश्चर्यजनक परिणाम हुआ था। पहली बार इस सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज कराई थी। एम-वाई समीकरण के सबसे मजबूत आधार वोट वाले इस सीट पर भाजपा की जीत ने सबको हैरत में डाल दिया था। यहां भी लोजपा के आधार वोट में कई निर्दलीय प्रत्याशियों ने सेंध लगाकर राजद प्रत्याशी प्रेमा चौधरी की जीत का रास्ता रोका था।