नई दिल्ली,(एजेंसी)23 जून। अल कायदा और आईएसआईएस के आंतंकियों की नयी भर्तियों पर निगरानी रखने के लिए भारतीय खुफिया विभाग को बड़ी संख्या में अधिकारियों पर निर्भर होना पड़ेगा। इस काम के लिए आईबी को कम से कम 8600 अधिकारियों की भर्ती करनी पड़ेगी और इसके लिए सभी प्रयास किये जा रहे हैं।
आईबी में मौजूदा समय में कम से कम 27000 कर्मियों की जरूरत है लेकिन अभी भी इसके पास 8600 कर्मियों का अभाव है। लेकिन ऐसे में आईबी के लिए सबसे बड़ी दिक्कत है कि ऐसे लोगों को पर भरोसा नहीं किया जा सकता है जो कि स्थानीय लोगों के संपर्क में हो। हाल ही में मणिपुर हमले में उग्रवादियों को आईबी से पहले यहां के स्थानीय लोगों से जानकारी मिल रही थी।
आईबी की पहली आंख और कान बनना होगा आईबी ऐसे लोगों पर भरोसा करना चाहता है जो सबसे पहले खुफिया जानकारी उनतक पहुंचाये, इसके लिए लोगों में देशभक्ति कूट-कूट कर भरी होनी चाहिए। आईबी के एक अधिकारी ने बताया कि हमें ऐसे लोगों की जरूरत है जिनका लिए पैसे से बढ़कर देशभक्ति हो।
आईबी के अधिकारी ने बताया कि जो लोग खुफिया जानकारी पैसों के लिए किसी से भी साझा करते हैं उनपर भरोसा नहीं किया जा सकता है। ये लोग पैसों की खातिर दोनों तरफ जानकारी साझा कर सकते हैं। इन लोगों की वजह से आईबी 10 में से एक बार जरूर असफल होता है जोकि हमें काफी भारी पड़ता है।
पिछले कुछ महीनों में अच्छे आवेदक नौकरी के लिए आवेदन कर रहे हैं। जिनमें से कई एमबीए ग्रेजुएट भी हैं जिन्होंने हाई सैलरी नौकरी को ठोकर मारकर आईबी में शामिल होने के लिए आवेदन किया। विवादित स्थलों पर खुफिया तंत्र को मजबूत करना होगा आईबी के लिए नयी भर्तियों के लिए सबसे बड़ी अड़चन पूर्वोत्तर के क्षेत्र हैं।
दस में से पांच ऐसे मौके होते हैं जब उग्रवादियों के पास आईबी से पहले जानकारी पहुंचती है और इसकी मुख्य वजह है यहां स्थानीय लोगों की मदद। यहां खुफिया विभाग को स्थानीय भाषा को समझना बेहद जरूरी होता है ऐसे में स्थानीय लोगों पर भरोसा करना ही एकमात्र विकल्प है।