नई दिल्ली,एजेंसी-13 फरवरी। देश के वित्त मंत्री पी. चिदंबरम अगले सप्ताह 17 फरवरी को देश का 83वां बजट पेश करेंगे। यह उनका नौवां बजट होगा और इस संख्या के साथ वह पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई से सिर्फ एक कदम पीछे रह गए हैं। देसाई ने 10 बजट पेश किया था।
देसाई प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री थे। बाद में 1977-80 में वह खुद भी प्रधानमंत्री रहे थे। देसाई ने आठ वार्षिक बजट और दो अंतरिम बजट पेश किए थे। वित्त मंत्री के अपने प्रथम कार्यकाल में उन्होंने 1959-60 से 1963-64 तक पांच पूर्ण बजट और 1962-63 में एक अंतरिम बजट पेश किया था।
दूसरे कार्यकाल में देसाई ने 1967-68 से 1969-70 के बीच तीन पूर्ण बजट और 1967-68 में एक अंतरिम बजट पेश किया था। उल्लेखनीय है कि इस दूसरे कार्यकाल में वह इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में उप प्रधानमंत्री भी थे। देसाई से अलग वर्तमान वित्त मंत्री पी. चिदंबरम द्वारा अब तक पेश किए गए सभी बजट पूर्ण बजट थे। इसमें से 1996-97 का पूर्ण बजट उन्होंने एच.डी. देवगौड़ा के प्रधानमंत्रीत्व काल में जुलाई में पेश किया था। अगले सप्ताह पेश होने वाला बजट उनका पहला अंतरिम बजट होगा।
जहां तक पूर्ण बजट की बात है, तो चिदंबरम मोरारजी देसाई की बराबरी कर चुके हैं। चिदंबरम इस बजट के साथ पूर्व वित्त मंत्री और वर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के आठ बजट के रिकार्ड को तोड़ देंगे। पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिंह, वाई.बी. चव्हाण, और सी.डी. देशमुख में से प्रत्येक ने सात बजट पेश किए हैं। वर्तमान प्रधानमंत्री और तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह तथा पूर्व वित्त मंत्री टी.टी. कृष्णामाचारी में से प्रत्येक ने छह बजट पेश किए हैं। पूर्व वित्त मंत्री आर. वेंकटरमण और एच.एम. पटेल में से प्रत्येक ने तीन तथा जसवंत सिंह, वी.पी. सिंह, सी. सुब्रमण्यम, जॉन मथाई और आर.के. शनमुखम शेट्टी में से प्रत्येक ने दो बजट पेश किए हैं।
प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी में से प्रत्येक ने एक बजट पेश किए। चरण सिंह, एन.डी. तिवारी, मधु दंडवते, एस.बी. चव्हाण और सचिंद्र चौधरी में से प्रत्येक ने एक बजट पेश किए हैं। वित्त मंत्री का यह अंतरिम बजट एक लेखानुदान होगा, जिसमें वह अगले पूर्ण बजट तक अंतरिम अवधि के लिए संसद से खर्च की अनुमति मांगेंगे। साधारण वर्ष में भी चूंकि पूर्ण बजट फरवरी के आखिर में संसद में पेश किया जाता है, जिस पर मंजूरी मई तक मिल पाती है, इसलिए इस बीच एक अप्रैल से तब तक के खर्च के लिए संसद से लेखानुदान की मांग की जाती है। साथ ही एक साधारण बजट की तरह अंतरिम बजट में राजस्व पक्ष पर कोई नया प्रस्ताव नहीं रखा जाता है। इसका मतलब यह है कि कोई नया कर नहीं लगाया जाता है और इस मामले में यथास्थिति बरकरार रखी जाती है। इसमें पिछले वर्ष के आय-व्यय का लेखा-जोखा रखा जाता है और अंतरिम अवधि के लिए लेखानुदान की मांग की जाती है।