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जानलेवा निकली मैगी, लाइसेंस रद्द करने की तैयारी


लखनऊ,(एजेंसी)09 मई। मैगी के नमूनों में हानिकारक केमिकल्स की पुष्टि के बाद खाद्य संरक्षा व औषधि प्रशासन (एफएसडीए) इसकी बिक्री रुकवाने की तैयारी में जुट गया है।

मैगी में खतरनाक स्तर तक लेड

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बच्चों की सेहत पर खतरा देखते हुए एफएसडीए मैगी बनाने वाली नेस्ले इंडिया कंपनी का मैन्यूफैक्चरिंग लाइसेंस निरस्त कराने की सिफारिश केंद्रीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसए) से करेगा।

मुख्यालय के अधिकारियों की मानें तो इस संबंध में विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट तैयार हो गई है, जिसे सोमवार तक एफएसएसए के डायरेक्टर इंफोर्समेंट को इस सिफारिश के साथ भेजा दिया जाएगा।

एफएसडीए ने बाराबंकी के ईजी डे स्टोर से लिए गए मैगी के नमूनों की जांच कोलकाता की रेफरल लैब से कराई। जांच में यह नमूना फेल हो गया और इसमें लेड और मोनोसोडियम ग्लूटामेट नाम का एमिनो एसिड खतरनाक स्तर तक पाया गया।

इसके बाद हरकत में आए एफएसडीए ने पूरे प्रदेश में इस बैच की मैगी की बिक्री पर रोक लगा दी।

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नमूनों में गड़बड़ी पर नेस्ले ने दी थी चुनौती
सहायक आयुक्त एफएसडीए विजय बहादुर ने बताया कि नेस्ले ने मैगी के उत्पादन का लाइसेंस केंद्रीयकृत आधार पर एफएसएसए से हासिल किया है।

इसलिए एफएसडीए मुख्यालय से लाइसेंस निरस्त किए जाने की सिफारिश केंद्रीय मुख्यालय से जुड़े इंफोर्समेंट डायरेक्टर को भेजी जा रही है।

बाराबंकी के ईजी स्टोर से फरवरी में मैगी के नमूने सील किए गए थे। जनविश्लेषक लैब गोरखपुर से मार्च के अंत में रिपोर्ट आई।

रिपोर्ट में इसे दो आधारों पर अनसेफ श्रेणी में फेल बताया गया। पहला- नमूने में लेड की मात्रा निर्धारित मानक से करीब आठ गुना थी। दूसरा- इसमें मोनोसोडियम ग्लूटामेट पैकेट पर बिना वैधानिक चेतावनी के मौजूद था।

नेस्ले ने गोरखपुर लैब रिपोर्ट को चुनौती दी। इसके बाद नमूने रेफरल लैब कोलकता भेजे गए। वहां से अप्रैल के अंत में आई रिपोर्ट में भी गोरखपुर की रिपोर्ट को सही ठहराया गया।
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सेहत को नुकसान ही नहीं जानलेवा भी
केंद्रीय मुख्यालय भेजी जा रही रिपोर्ट में बताया गया है कि जिस बैच के मैगी की जांच कराई गयी थी, उसमें लेड की मात्रा 17.2 पार्ट्स पर मिलियन मिली थी।

मानक के तहत इसकी मात्र 2.7 पार्ट्स पर मिलियन तक ही सुरक्षित व मान्य है। लेड की करीब आठ यह मात्रा सेहत के लिए घातक और जानलेवा है।

मैगी में मोनोसोडियम ग्लूटामेट भी मिला, जबकि एक्ट के तहत इसकी नाममात्र की उपस्थिति भी खाद्य सामग्री में होने पर रैपर पर 12 साल तक के बच्चों के उपयोग में न लाए जाने की चेतावनी छापना जरूरी है। लेकिन मैगी के पैकेट पर ऐसा कुछ नहीं छपा था।

विजय बहादुर, सहायक आयुक्त, एफएसडीए के मुताब‌िक, नेस्ले इंडिया कंपनी का मैगी उत्पादन का लाइसेंस निरस्त किए जाने की संस्तुति कुछ दिन में केंद्रीय मुख्यालय को भेजी जाएगी।

लैब टेस्ट रिपोर्ट में मैगी के नमूनों में मिले केमिकल्स को सेहत के हानिकारक बताया गया है। इसके आधार पर केंद्रीय मुख्यालय से मैगी की बिक्री पर देश भर में रोक लगाने की संस्तुति रिपोर्ट में होगी।


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