आज भारत की भूमि पर नजर गड़ाने वालों को मुंहतोड़ जवाब देने की ताकत हमारे वीर जवानों में है। आज भारत सीमाओं पर सैकड़ों किलोमीटर लंबी सड़कें बना रहा है, दर्जनों ब्रिज, अनेक सुरंगें बना रहा है। अपनी संप्रभुता और सम्मान की रक्षा के लिए आज का भारत पूरी तरह तैयार है।
आतंकी पीड़ा को भारत भली-भांति जानता है। भारत ने आतंकवाद को हमेशा अपनी एकता से, अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से जवाब दिया है। आज पूरे विश्व को भी एकजुट होकर हर उस ताकत को हराना है जो आतंकवाद के साथ है, आतंकवाद को बढ़ावा दे रही है।
आज के माहौल में दुनिया के सभी देशों को, सभी सरकारों को, सभी पंथों को, आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की बहुत ज्यादा जरूरत है। शांति-भाईचारा और परस्पर आदर का भाव ही मानवता की सच्ची पहचान है। आतंकवाद-हिंसा से कभी भी, किसी का कल्याण नहीं हो सकता।
सोमनाथ के पुनर्निर्माण से सरदार पटेल ने भारत के सांस्कृतिक गौरव को लौटाने का जो यज्ञ शुरू किया था, उसका विस्तार देश ने अयोध्या में भी देखा है। देश राममंदिर पर सुप्रीमकोर्ट के फैसले का साक्षी बना है, और भव्य राममंदिर को बनते भी देख रहा है।
कश्मीर के विकास में जो बाधाएं आ रही थीं, उन्हें पीछे छोड़कर अब कश्मीर विकास के नए मार्ग पर बढ़ चुका है। चाहे नॉर्थ ईस्ट में शांति की बहाली हो, या नॉर्थ ईस्ट के विकास के लिए उठाए जा रहे कदम, आज देश एकता के नए आयाम स्थापित कर रहा है।
अन्य विरासतों के साथ ही ये कार्य भी सरदार साहब के ही जिम्मे अगर होता, तो आज आजादी के इतने वर्षों बाद ये काम पूरा करने की नौबत मुझपर नहीं आती। सरदार साहब का वो काम अधूरा था। उन्हीं की प्रेरणा से 130 करोड़ देशवासियों को उस कार्य को पूरा करने का भी सौभाग्य मिला।
विपदाओं और चुनौतियों के बीच ही देश ने ऐसे काम किए है जो कभी असंभव मान लिए गए थे। इसी मुश्किल समय में धारा 370 हटने के बाद कश्मीर ने समावेश का एक साल पूरा किया।
हमारे कोरोना वारियर्स हमारे पुलिस के अनेक होनहार साथियों ने दूसरों का जीवन बचाने के लिए अपना जीवन दे दिया। आजादी के बाद मानव सेवा और सुरक्षा के लिए जीवन देना इस देश के पुलिस बेड़े की विशेषता रही है।
आज भारत कोरोना से उभर भी रहा है और एकजुट होकर आगे भी बढ़ रहा है। ये वैसी ही एकजुटता है जिसकी कल्पना लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने की थी।
कोरोना वारियर्स के सम्मान में 130 करोड़ देशवासियों ने एक होकर जो जज्बा दिखाया, एकता का जो संदेश दिया, उसने 8 महीने से हमें इस संकट से लड़ने, जूझने और विजयपथ पर आगे बढ़ने की ताकत दी है।
किसी ने कल्पना नहीं की थी कि पूरी मानवजाति को कोरोना जैसी महामारी की सामना करना पड़ेगा। लेकिन इस महामारी के सामने देश ने जिस तरह अपने सामूहिक सामर्थ्य को, अपनी सामूहिक इच्छाशक्ति को साबित किया वो अभूतपूर्व है।
भारत के लिए इस अद्भुद भावना को आज हम यहां मां नर्मदा के किनारे सरदार साहब की भव्य प्रतिमा की छांव में और करीब से महसूस कर सकते हैं। भारत की यही ताकत हमें हर आपदा से, हर विपत्ति से लड़ना सिखाती है और जीतना भी सिखाती है।
भगवान श्रीराम के आदर्श, उनके संस्कार अगर आज भारत के कोने-कोने में हमें एक दूसरे से जोड़ रहे हैं, तो इसका बहुत बड़ा श्रेय महर्षि वाल्मिकी जी को ही जाता है। राष्ट्र और मातृभूमि को सबसे बढ़कर मानने का महर्षि वाल्मीकि का जो मंत्र था, वही आज राष्ट्र प्रथम का मजबूत आधार है।