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मसरत के नारों के बाद PM नरेंद्र मोदी के नाम एक ‘खुला खत’


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नई दिल्ली,(एजेंसी)16 अप्रैल । मेरे चुने हुए प्रतिनिधियों के चुने हुए प्रमुख,

आदरणीय,
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी,
जब आप दोनों बाजुएं उठाकर जर्मनी और कनाडा में ‘स्किल इंडिया’ का सपना दिखा रहे हैं, इसी बीच इंडिया में कोई पाकिस्तान के नारे लगा रहा है। ‘तेरी जान-मेरी जान, पाकिस्तान-पाकिस्तान। हाफिज सईद का क्या पैगाम, कश्मीर बनेगा पाकिस्तान।’

कौन है यह नारे लगाने वाला। वही अलगाववादी मसरत आलम, जिसे जम्मू-कश्मीर में पीडीपी-बीजेपी सरकार बनने के बाद रिहा कर दिया गया। वह मसरत एक बार फिर आपकी सरकार के लिए शर्मिंदगी का सबब बन गया है।

मसरत हो या गिलानी या आसिया अंद्राबी, ये लोग हिंदुस्तानी जमीन पर पाकिस्तान के झंडे फहराते हैं तो इसकी सामाजिक वजहें भी होंगी। ढूंढने वाले इसमें प्रतिरोध भी ढूंढ लेंगे। ‘अपवादों’ को भुलाकर कुछ लोग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हवाला भी दे डालेंगे लेकिन किसी भी भारतीय नागरिक के लिए ये नारे दिल तोड़ने वाले हैं, चुभने वाले हैं। इसलिए मेरी आपसे यह छोटी सी विनती है।

प्रधानमंत्री जी, आपने और आपकी पार्टी ने कश्मीर में पल रहे अलगाववाद और पाकिस्तान-परस्ती को बरसों से मुद्दा बनाया है। अब जब यह सबसे प्रकट रूप में एक वीडियो के जरिये सबके सामने आया है तो कार्रवाई की नैतिक जिम्मेदारी भी आपकी है। केंद्र में आप अभूतपूर्व बहुमत की सरकार चला रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में पहली बार आप सत्ता में साझेदार हैं और उपमुख्यमंत्री की कुर्सी आपके पास है।

वादों पर खरा उतरने का यह सही वक्त है। कथनी-करने के बीच फर्क पाटने का यह सही मौका आपको मिला है। आपके पास कानून की ताकत है, जरा कमर कसकर कार्रवाई कीजिए। आपकी राजनीति और मुद्दों के सांचे में यह फिट भी बैठता है। यह राष्ट्रीय हित का विषय है, लिहाजा वोट बैंक की राजनीति और गठबंधन की मजबूरियों को ढाल मत बनने दीजिएगा।

अपनी जमीन से प्यार करने वाला यह शख्स आपसे मांग करता है कि जहर उगलने वालों के खिलाफ संविधान-सम्मत कार्रवाई बिना देर किए की जाए। कानून तो अपना काम करेगा ही सर, मगर सख्ती से निपटना अगर सिर्फ ‘भाषाई जुमला’ नहीं है तो अब जरा सख्ती का प्रदर्शन कीजिए। मुंबई हमले के अपराधी ‘हाफिज सईद का पैगाम’ सुनाने वालों पर नकेल कसिए।

कानूनन कार्रवाई कीजिए, जरूरत पड़े तो अलगाववादियों से बात कीजिए, कोई समाधान तो निकालिए प्लीज। देश के चौकीदार से हमारी अपेक्षाएं बड़ी हैं। इस मौके पर आपका पुराना बयान याद आ रहा है कि जम्मू-कश्मीर को ‘सेपरेटिस्ट स्टेट’ के बजाय ‘सुपर स्टेट’ बनाने की कोशिश होनी चाहिए। आइए मिसाल पेश कीजिए। मुफ्ती पर मत मढ़िए, आप दखल दीजिए। विदेश यात्रा से लौटिए और घर के हालात ठीक करिए। सीने के साइज के इम्तहान का वक्त आ गया है।


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