नई दिल्ली,(एजेंसी) 19 मार्च । पिछले दो-तीन दिन से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की सक्रियता को देखकर यूं तो सभी हैरान हैं लेकिन इस सक्रियता में एक खास बात है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोनिया गांधी के सीधे निशाने पर हैं।
2014 के चुनावों में हार के बाद पहला मौका है जब सोनिया गांधी ने अपने हाथ खोले हैं और मोदी उनके निशाने पर हैं। अपने बयानों में उन्होंने ‘मोदी की एनडीए सरकार’ या ‘मोदी सरकार’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया है। मंगलवार को उन्होंने केंद्र सरकार पर दोहरा हमला बोला। पहले तो संसद में आंध्र प्रदेश के साथ भेदभाव का आरोप लगाया और फिर संसद से राष्ट्रपति भवन तक विपक्ष के मार्च का नेतृत्व किया।
लोकसभा में सोनिया ने दो बार सरकार का जिक्र किया और दोनों बार ‘मोदी-एनडीए सरकार’ कहा। उसके बाद जब वह राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को ज्ञापन देने गईं तब भी उन्होंने कहा, ‘हम मोदी सरकार के संशोधनों का विरोध करने आए हैं… कृपया मोदी सरकार से कहिए कि बिल पर जोर न दे।’
वैसे, यह कांग्रेस की सोची-समझी रणनीति भी हो सकती है कि केंद्र सरकार की आलोचना करते वक्त एक चेहरे को सामने रखा जाए। एक कांग्रेस मैनेजर ने कहा, ‘अगर सफलताएं प्रधानमंत्री मोदी की हैं तो फिर सरकार की विफलताएं भी उनके नाम पर लिखी जानी चाहिए। अगर नाम का इस्तेमाल किया जा रहा है तो इसमें दिक्कत क्या है? बीजेपी ने मोदी सरकार के लिए ही जनता से वोट मांगे थे।’
सोनिया के इस रूप ने कांग्रेस में भी बहस छेड़ दी है। बहुत लोगों का मानना है कि जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन पर सीधा हमला करने की रणनीति ने ही सोनिया गांधी को नैशनल लीडर बनाया था।