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बिना एनओसी खड़ी हो रही ऊंची इमारतों पर प्रदूषण नियं‍त्रण बोर्ड करेगा बिल्‍डरों पर कार्रवाई


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लखनऊ,(एजेंसी) 09 मार्च । राज्य प्रदूषण नियंतत्रण बोर्ड ने पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने वाले बिल्डरों पर सख्त कार्रवाई की प्रक्रिया तेज कर दी है। बोर्ड प्रशासन ने पहले चरण में राजधानी और समीप के जिलों में विकसित हो रही बहुमंजिली इमारतों और आवासीय कालोनियों की स्थलीय जांच शुरू की है। पर्यावरणीय नियमों का पालन नहीं करने वाले बिल्डरों की सूची तैयार करके उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

राजधानी में आवासीय अपार्टमेंट बनाने वाली कंपनियां पर्यावरण संरक्षण अधिनयम का खुलेआम उल्लंघन कर रही है। पर्यावरण निवारण और नियंत्रण अधिनियम 1974 के तहत आवासीय अपार्टमेंट बनाने से पहले बिल्डिंग निर्माण करने वाली कंपनियों को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना आवश्यक है। इसके लिए कंपनियों को निर्माणाधीन परियोजना से उत्पन्न होने वाले जल, वायु और ध्वनि प्रदूषण और नगरीय ठोस अपशिष्ठ निस्तारण व्यवस्था के तकनीकी प्रस्ताव और प्रोजेक्ट रिपोर्ट के साथ निर्धारित शुल्क बोर्ड में जमा करके अनापत्ति प्रमाणपत्र लेने के लिए आवेदन करना होता है।

व्यवस्था से संतुष्ट होने के बाद बोर्ड प्रशासन परियोजना के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी करता है। बोर्ड से एनओसी लेने के बाद ही अपार्टमेंट का निर्माण किया जा सकता है। बीते कुछ साल से लखनऊ में कई बड़ी कंपनियों ने बोर्ड से एनओसी लिए बिना ही अपार्टमेंट बनाए हैं। इसके साथ ही बड़ी संख्या में ऐसी भी कंपनियां हैं जिन्होंने निर्माणाधीन परियोजना से उत्पन्न होने वाले जल, वायु, ध्वनि प्रदूषण, नगरीय ठोस अपशिष्ठ निस्तारण व्यवस्था के तकनीकी प्रस्ताव और प्रोजेक्ट रिपोर्ट बोर्ड में जमा करके एनओसी ले ली है, लेकिन हकीकत में उनका अनुपालन नहीं किया है।

बोर्ड के अध्यक्ष जावेद आबिदी ने सदस्य सचिव जे एस यादव को निर्देश दिया है कि पर्यावरणीय मानकों का उल्लंघन करने वाले बिल्डर कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू करें। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लखनऊ मंडल के मुख्य पर्यावरण अधिकारी डॉ. राजीव उपाध्याय ने बताया कि क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी के नेतृत्व में टीम गठित कर दी गई है। टीम को निर्देश दिया गया है कि पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों की सूची बोर्ड मुख्यालय को दें। उन्होंने बताया कि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के मानकों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों की एनओसी रद्द करने के साथ ही उनके खिलाफ विधिक कार्रवाई भी की जाएगी।


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