लखनऊ,(एजेंसी) 9 नवम्बर । बीएसपी प्रमुख मायावती ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की घोषणाओं को शनिवार को लोक लुभावन करार दिया है। शनिवार को बयान जारी कर मायावती ने कहा कि मोदी चुनाव से लेकर अब तक सिर्फ उपदेश दे रहे हैं जिससे कोई भला होने वाला नहीं है। माया के इस पलटवार को मोदी के शुक्रवार को वाराणसी में दिए गए श्सियासी जमीन के बयान की प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है।
मायावती ने कहा है कि मोदी वाराणसी दौरे में केवल लोक लुभावन बातें व दिन में सपने दिखाने का काम करते रहे। इससे पीडि़त व गरीब जनता का कोई भला होने वाला नहीं है। मोदी पहले चुनावी वादा पूरा करते हुए काला धन वापस लाकर 15.15 लाख रुपये हर भारतीय के बैंक खाते में डालें ताकि जनता अपना उद्धार खुद कर सके।
मायावती ने कहा कि मोदी ने जनता को बरगलाने के लिए अब नया शिगूफा छोड़ा है कि ष्बात नहीं काम कर के दिखाऊंगा। जबकि उनकी बड़ी बड़ी बातों से तंग आकर जनता अब आवाज उठाने लगी है कि ष्मोदी सरकार वादा निभाओ काला धन वापस लाओ। उन्होंने कहा कि वाराणसी के बुनकरों के लिए जो तथाकथित 2375 करोड़ रुपये का पैकेज देने की बात की जा रही है वह महज एक धोखेबाजी है।
दरअसल यह रकम सहकारी बैंकों के उद्धार के लिए है न कि बुनकरों के लिए। वैसे भी इस योजना में दो तिहाई रकम राज्य सरकारों को ही देनी है। केन्द्र सरकार गलत वाहवाही लूटने का प्रयास कर रही है।
प्रधानमंत्री मोदी गरीबों को 15.15 लाख रुपये काले धन का दिलवा दें तो वे लोग बेटी के जन्म पर उनके उपदेशानुसार उत्सव जरूर मनाएंगे।
– मायावती
सपा के भी हमले जारी
प्रधानमंत्री मोदी ने बंद चल रहे सहकारी बैंकों का जिक्र कर शुक्रवार को सहकारिता विभाग पर हमला किया तो शनिवार को बारी लोक निर्माण व सहकारिता मंत्री शिवपाल यादव की थी। शिव पाल सिंह यादव ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे प्रदेश के राष्ट्रीय राजमार्गों को दुरुस्त करने के लिए पर्याप्त धनराशि के लिए केन्द्रीय सड़क एवं परिवहन विभाग को पत्र लिखें। बैठक के बाद शिवपाल ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री से उन्होंने 1300 करोड़ रुपये मांगे थे लेकिन केंद्र ने अब तक 13 करोड़ रुपये दिए हैं। इससे यूपी शर्मसार हुआ है। ऐसे में वे खुद दिल्ली जाकर केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री से फिर बात करेंगे। इससे पहले जून में भी उनकी ओर से केन्द्र को सड़क दुरुस्त करने के लिए चिट्ठी भेजी जा चुकी है। दूसरी ओरए वरिष्ठ मंत्री अम्बिका चैधरी ने राज्य में रासायनिक खादों की कमी के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। बलिया में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश इस संबंध में केंद्र को कई पत्र लिख चुके हैं लेकिन केंद्र ध्यान नहीं दे रहा है।
वादा करके नहीं आए केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री
प्रदेश में बिजली व्यवस्था में सुधार पर चर्चा के लिए शनिवार मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ होने वाली बैठक में केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल नहीं आए। उन्होंने अपना लखनऊ आने का कार्यक्रम अचानक रद्द कर दिया। बिजली को लेकर बीते कुछ महीनों में केन्द्र और यूपी के रिश्तों में काफी खटास आ चुकी है। जुलाई से सितंबर के दौरान जब प्रदेश में भयंकर बिजली संकट थाए केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री गोयल ने आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री अखिलेश उनका फोन नहीं उठाते। उन्होंने इस बैठक के लिए समय मांगा था जिसके बाद 8 नवंबर को बैठक पर सहमति बनी थी।
बसपा के राजाराम और वीर सिंह ने भरा राज्यसभा के लिए पर्चा
बहुजन समाज पार्टी की ओर से शनिवार को राजाराम और वीर सिंह ने राज्यसभा के लिए पर्चा भरा। राजाराम ने दूसरी बार और वीर सिंह ने तीसरी बार राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल किया है। राज्यसभा में दोनों का कार्यकाल 25 नवंबर को पूरा हो रहा है। नामांकन के दौरान बीएसपी नेता सतीश चंद्र मिश्रा नसीमुद्दीन सिद्दीकी और स्वामी प्रसाद मौर्य के अलावा पार्टी के अधिकांश विधायक मौजूद थे।
बसपा के दोनों उम्मीदवारों ने विधानसभा के सेंट्रल हॉल में रिटर्निंग आफिसर प्रमुख सचिव विधानसभा प्रदीप दुबे के सामने अपना पर्चा दाखिल किया। बसपा प्रत्याशियों को पहले अपना नामांकन सुबह 11 बजे करना था लेकिन वीर सिंह के शपथ पत्र के चलते नामांकन अपराह्न 2:15 पर हुआ। पार्टी नेताओं ने बताया कि वीर सिंह का शपथ पत्र गलत बन गया थाए जिसके चलते नामांकन से पहले दूसरा शपथ पत्र बनवाया गया और उसी के कारण नामांकन में विलंब हुआ।
राज्यसभा के लिए दोनों प्रत्याशियों द्वारा दाखिल किए गए पर्चों में प्रस्तावक के रूप में बसपा विधायक महावीर राणा, डॉ धर्मसिंह सैनी, जगपाल, रविन्द्र कुमार, नूर सलीम, अनिल कुमार, तसलीम, मुहम्मद गाजी, ओमकुमार, इंद्रजीत सरोज, मोहम्मद आसिफ जाफरी, दीपक पटेल,पूजा पाल, सुखदेव प्रसाद, अयोध्या प्रसाद कृष्ण कुमार ओझा और राम प्रसाद चैधरी प्रमुख थे। दोनों प्रत्याशियों ने दो.दो सेट में अपने नामांकन पत्र दाखिल किए।
राज्यसभा में संख्या कम होने से पार्टी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। यह सीटें तो विधायकों की संख्या पर निर्भर करती हैं। 2017 विधानसभा के बाद जो राज्यसभा के चुनाव होंगे, उसमें बीएसपी की कम से कम सात सीटें होंगी।
-सतीश चंद्र मिश्र राष्ट्रीय महासचिवए बसपा