नई दिल्ली ,(एजेंसी) 03 नवम्बर । सचिन तेंडुलकर के भारत के पूर्व कोच ग्रेग चैपल के बारे में खुलासे के बाद सौरव गांगुली ने कहा है कि राहुल द्रविड को चैपल के बारे में सब पता था लेकिन वह कुछ कर नहीं सकते थे। गांगुली की यह प्रतिक्रिया सचिन तेंदुलकर की आत्मकथा में हुए खुलासे के बाद आई है कि चैपल ने तेंडुलकर को सुझाव दिया था कि वह 2007 से वल्र्ड कप से कुछ महीने पहले द्रविड से कप्तानी ले लें।
गांगुली ने कहा है ष्मैं उस समय में वापस नहीं जाना चाहता। आप नतीजे देख सकते हो। यह भारतीय क्रिकेट के सबसे बुरे दौर में से एक था। बदतर दौरए जिससे क्रिकेट गुजर सकता है विशेषकर मेरे जैसा कोई खिलाड़ी। एक के बाद एक झूठ बोला जा रहा था और छह महीने बाद वह राहुल को हटाकर सचिन को कप्तान बनाना चाहते थे। यह दिखाता है कि वह अपना काम कैसे करते थे।
इस पूर्व भारतीय कप्तान ने कहाए ष्मुझे भारत के अगले दौर, 2007 विश्व कप के लिए क्वालिफॉई नहीं कर पाने की हैरानी नहीं थी। मैं जब टीम में वापस आया तो मैंने काफी समय बाद द्रविड से इस बारे में बात की और उन्हें बताया कि इस तरह की चीजें हो रही हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें पता है लेकिन वह ग्रेग को कंट्रोल नहीं कर सकते।
तेंदुलकर ने अपनी किताब में खुलासा किया है कि चैपल ने एक बार कहा था किए उन्हें सौरव के कारण कोच का पद मिला लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह पूरे जीवन सौरव का पक्ष लेते रहेंगे। इस बारे में पूछने पर गांगुली ने कहाए ष्क्या ऐसा था।ष् इस खुलासे पर हैरानी जताते हुए गांगुली ने कहाए ष्मैंने इससे पहले इसके बारे में नहीं सुना। यह निश्चित तौर पर चैपल और सचिन के बीच बंद दरवाजे के पीछे बात हुई होगी। लेकिन मैं मानता हूं कि यह सच था और मुझे लगता है कि यह बिल्कुल बेवकूफाना था।
गांगुली ने कहा कि चैपल पर विश्वास नहीं किया जा सकता था। उन्होंने कहाए ष्मैंने 2005 नवंबर दिसंबर में अपनी कप्तानी गंवाई और विश्व कप 2007 की शुरुआत में था। राहुल कप्तान बना। और आठ महीने बाद चैपल को एक और कप्तान ,सचिन की जरुरत थी। यह उनके विचारों को दर्शाता है कि भारतीय क्रिकेट को उन्होंने कितना नुकसान पहुंचाया।
गांगुली ने उम्मीद जताई कि एक दिन वह भी कहानी का अपना पक्ष बता पाएंगे। उन्होंने कहा ष्काफी चीजें लिखी गई और मैंने अपनी कप्तानी गंवा दी। बाद में मैंने टीम में वापसी की और भारत के लिए खेला लेकिन यह काफी अच्छा नहीं था।
गांगुली ने कहाए ष्मुझे खुशी है कि सचिन जैसी विश्वसनीयता के व्यक्ति ने यह बात की। उम्मीद करता हूं कि एक दिन मैं भी कहानी का अपना पक्ष रख पाउंगा। जिंबाब्वे दौर से लेकर अगले एक से डेढ़ साल का समय। मैंने खुद को ऐसा करने से रोके रखा लेकिन मुझे खुशी है कि सचिन ने ऐसा किया।