नई दिल्ली, एजेंसी | प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को कहा कि सांप्रदायिक हिंसा विरोधी विधेयक वोट हासिल करने का हथकंडा नहीं है और यह हिंसा के दौरान पैदा होने वाली पथभ्रष्टता पर नियंत्रण करने में मददगार होगा। मनमोहन ने सरकार के इस प्रस्तावित विधयेक के बारे कहा, “यह वोट पाने का हथकंडा नहीं है। मुझे लगता है कि पिछले पांच-छह सालों से हम देश के कुछ या अन्य हिस्सों में सांप्रदायिक हिंसा की समस्या से जूझ रहे हैं।”
पीएम ने कहा, “हमारी कोशिश ऐसा वातावरण तैयार करना है, जिससे अधिकारी प्रभावपूर्ण एवं मानवीय तरीके से कानून एवं व्यवस्था पर नियंत्रण रखने के लिए जिम्मेदार होंगे।” उन्होंने कहा कि अगर दंगे रोके नहीं जा सकते, तो पीड़ितों को उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए। मनमोहन सिंह ने कहा, “इसलिए मुझे लगता है कि ये दो मूल सिद्धांत हैं जो सांप्रदायिक हिंसा विरोधी विधेयक के उद्देश्य हैं। मुझे लगता है कि इस विधेयक को लाने का समय आ गया है।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “मुजफ्फरनगर और देश के अन्य हिस्सों में जो हुआ, वह इस बात की याद दिलाता है कि भले ही हम अपने लोगों की सुरक्षा में अपनी योग्यता पर गर्व महसूस करें लेकिन अभी भी रास्ते से भटकाव की स्थिति पैदा होती है।” मनमोहन ने कहा कि अगर यह विधेयक संसद में पारित हो जाता है, तो यह इस भटकाव की स्थिति पर नियंत्रण रखेगा। कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस विधेयक का विरोध किया है और उनका कहना है कि यह संविधान के संघीय ढांचे के लिए हानिकारक है।