पहले के समय ट्रेनिंग में आधुनिक अप्रोच कैसे आए, इस बारे में बहुत सोचा नहीं गया। लेकिन अब देश में ह्यूमन रिसोर्स की आधुनिक ट्रेनिंग पर जोर दिया जा रहा है। बीते 2-3 वर्षों में ही सिविल सर्वेन्ट्स की ट्रेनिंग का स्वरूप बहुत बदल गया है।
सरदार पटेल ने एक भारत- श्रेष्ठ भारत का सपना देखा था। उनका ये सपना आत्मनिर्भर भारत से जुड़ा हुआ था। कोरोना वैश्विक महामारी के बीच भी जो हमें सबसे बड़ा सबक मिला है वो आत्मनिर्भरता का ही है।
स्टील फ्रेम का काम सिर्फ आधार देना, सिर्फ चली आ रही व्यवस्थाओं को संभालना ही नहीं होता। स्टील फ्रेम का काम देश को ये ऐहसास दिलाना भी होता है कि बड़े से बड़ा संकट हो या फिर बड़े से बड़ा बदलाव, आप एक ताकत बनकर देश को आगे बढ़ाने में सहयोग करेंगे।
एक प्रकार से सरदार पटेल ही देश की सिविल सेवा के जनक थे। 21 अप्रैल 1947 को प्रशासनिक अधिकारियों के पहले बैच को संबोधित करते हुए सरदार पटेल ने सिविल सेवा के अधिकारियों को देश का स्टील फ्रेम कहा था।
आपसे मेरा आग्रह है कि आज की रात सोने से पहले खुद को आधा घंटा दीजिए। अपने कर्तव्य, दायित्व, प्रण के बारे में जो आप सोच रहे हैं, उन्हें लिखकर रख लीजिएगा। ये कागज का टुकड़ा जीवन भर आपके संकल्पों को साकार करने के लिए आपके हृदय की धड़कन बनकर आपके साथ रहेगा।
अफसरों को सरदार साहब की सलाह थी कि देश के नागरिकों की सेवा अब आपका सर्वोच्च कर्तव्य है। मेरा भी यही आग्रह है कि सिविल सर्वेंट जो भी निर्णय ले, वो राष्ट्रीय संदर्भ में हों, देश की एकता अखंडता को मजबूत करने वाले हों।
आप ही वो अफसर हैं, जो उस समय भी देश सेवा में होंगे, जब भारत अपनी स्वतंत्रता के 100 वर्ष मनाएगा। आजादी के 75 से 100 वर्ष के बीच के ये 25 साल भारत के लिए बहुत अहम है।
आज भारत की विकास यात्रा के जिस महत्वपूर्ण कालखंड में आप हैं, वो बहुत विशेष है। जब आपका बैच काम करना शुरू करेगा, तो वो समय होगा जब भारत अपनी स्वतंत्रता के 75वे वर्ष में होगा।
एक साल पहले जो स्थितियां थी और आज जो स्थितियां हैं, उनमें बहुत बड़ा फर्क है। मुझे विश्वास है कि संकट के इस समय में देश ने और देश की व्यवस्थाओं ने जिस तरह काम किया, उससे आपने भी बहुत कुछ सीखा होगा।