नई दिल्ली,(एजेंसी)12 दिसंबर । ‘प्रभु भरोसे रेल’ सेशन में रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने रेलवे की दशा दिशा बदलने को लेकर कई मुद्दों पर अपनी बात कही। पढ़िए रेलमंत्री से बातचीत के प्रमुख अंश..
सवाल: बाल ठाकरे ने कहा कि वापस महाराष्ट्र आओ और अटल बिहार वाजपेयी ने कहा कि मैं आपका इस्तीफा नहीं लूंगा। अब मोदी ने आपको रेल मंत्री बनाया है। आखिर आप में ऐसा क्या है?
जवाब: ये तो देश के नेता ही बता सकते हैं। मुझे जो जिम्मेदारी दी जाती है, मैं उसे निभाता हूं। यदि रेल नहीं बढ़ेगी, तो देश नहीं बढ़ेगा। मैं समझता हूं कि अटल जी देश को जोड़ना चाहते थे, मोदी जी देश को आगे ले जाना चाहते हैं। मुझे सौभाग्य है कि मैंने दोनों के साथ काम किया।
सवाल: आपने पार्टी छोड़कर कैबिनेट को अपनाया?
जवाब: मोदी जी देश को आगे ले जाना चाहते हैं। मेरी भी जिम्मेदारी है इस सपने को पूरा करने की।
सवाल: आपकी कार्यशैली शांत है, कोई उग्र भाषा नहीं। लेकिन एक वक्त पर आप शिव सैनिक थे। कुछ समझ नहीं आता।
जवाब: मैं भी समझने की कोशिश कर रहा हूं (हंसते हुए) । वैसे मैं आपको बता दूं कि मैं चार्टड एकाउंटेंट हूं। हम देश के हालात के लिए दूसरों को जिम्मेदार ठहराते हैं। मैंने सोचा कि मुझे कुछ करना चाहिए।
सवाल: रेल की गाड़ी कैसे चलेगी?
जवाब: मैं रेल के हालात पर श्वेत पत्र निकालने जा रहा हूं। इससे रेल की चुनौतियां लोगों के सामने आएंगी ।लोगों को भी पता चलना चाहिए कि असलियत क्या है। आज रेल की स्थिति बहुत खराब है। हमारे पास पैसा नहीं बचा है, जिसे हम खर्च कर सकें। हमारे लिए सेफ्टी बड़ी समस्या है. इसके लिए हमें कम से कम 10-12 हजार करोड़ रुपये चाहिए। एक तरफ निवेश के लिए पैसे नहीं है और दूसरी तरफ निवेश का एकेडमिक रिकॉर्ड नहीं है। किराया बढ़ाने से पहले मैं मानता हूं कि सर्विस अच्छी करनी चाहिए। अगर कोई यात्रा करने से पहले कहे कि मैं प्रभू भरोसे (ऊपर वाला) यात्रा करने जा रहा हूं तो ये सही नहीं है।
सवाल: आप कभी किसी ट्रेन के जनरल अपार्टमेंट में चढ़े क्या?
जवाब: मैं नीचे से ही ऊपर आया हूं। इसलिए स्थिति जानता हूं। मेरा मानना है कि रेलवे को ठीक करने के लिए निवेश बहुत जरूरी है।
सवाल: क्या रेल मंत्री के तौर पर आपके लिए दिल्ली स्टेशन पर वाईफाई लगाना ज्यादा जरूरी है या मानवरहित क्रॉसिंग की सुरक्षा बढ़ाना?
जवाब: सारे काम पैरलेल होने चाहिए। वाईफाई और हाईफाई में फर्क है। आज 90 करोड़ मोबाइल यूजर हैं और इसमें से ज्यादातर लोग वाईफाई चाहते हैं। इसका ये मतलब नहीं कि हम मानवरहित क्रॉसिंग की अवहेला करेंगे।
सवाल: आपके पास आउट ऑफ द बॉक्स क्या है?
जवाब: हम मोबाइल पर टिकट बुक करने की व्यवस्था शुरू करने पर काम कर रहे हैं। रेलवे में खाने और लॉन्ड्री भी बड़ी चुनौती है। हम मैकेनाइज़्ड किचन बनाने पर विचार कर रहे हैं ताकि लोगों को स्वच्छ खाना मिल सके। इसी के साथ बेस्ट लीनन की लॉन्ड्री भी मिल सके। हम आईटी के इस्तेमाल से कस्टमर सर्विस में सुधार लाएंगे। इसके लिए निवेश चाहिए और निवेश के लिए पैसे, किराया भी बढ़ेगा और सुविधाएं भी। बड़े पैमाने पर निवेश कर सर्विस को बेहतर बनाएंगे। फिर लोग खुद मदद के लिए आगे आएंगे।
सवाल: भारत में बुलेट ट्रेन की रफ्तार क्या होगी?
जवाब: हमारा टारगेट जापान और चीन की बुलेट ट्रेन जितना ही है। अब देखना होगा कि भारतीय परिस्थितियों में ये कितना मुमकिन हो पाएगा?
सवाल: आप निवेश कैसे बढ़ाएंगे?
जवाब: मैंने जिस दिन रेल मंत्री का कार्यभार संभाला उसी दिन मैंने कह दिया था कि एक भी टेंडर मेरे पास नहीं आना चाहिए। फैसला लेने का अधिकार जीएम के पास होना चाहिए। वो सिर्फ रेल मंत्रालय तक सीमित नहीं रहना चाहिए। अगर यह साफ हो कि हमारा काम करने का मकसद क्या है तो काम काफी अच्छा होगा। रेलवे सुधार के लिए सबसे अहम चीज है नतीजे की चाह। इसके लिए जो भी जरूरत पड़ेगी सरकारी करेगी और लोग हमारा साथ जरूर देंगे।
सवाल: हम हमेशा भारतीय रेलवे के भरोसे यात्रा करते हैं। क्या कभी ऐसा होगा कि हम किसी प्राइवेट कंपनी की ट्रेन में बैठेंगे?
जवाब: मैं इस आइडियोलॉजिकल डिबेट में नहीं जाना चाहता कि हर चीज़ का हल प्राइवेटजाइशन है।
सवाल: इसका मतलब आप निजीकरण नहीं करेंगे?
जवाब: भरातीय रेलवे में निजीकरण कहां हो और कैसा हो इसके लिए पॉलिसी बन रही है।
सवाल: रेलवे में भर्ती को लेकर बड़ी धांधली होती है। क्या रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड में सुधार होगा?
जवाब: हम ऑनलाइन रेलवे रिक्रूटमेंट की व्यवस्था पर काम कर रहे हैं। शायद इससे रिक्रूटमेंट में जो धांधलियां होती हैं वो न हों।
सवालः क्या अब रेलवे की योजनाएं महाराष्ट्र केंद्रित होगी?
जवाब: मैं देश का रेल मंत्री हूं, हां कहीं न कहीं से आता हूं तो राज्य का नाम जुड़ जाता हूं। लेकिन मैं सब राज्यों के लिए काम करूंगा। चाहे वो बंगाल हो, बिहार हो या फिर महाराष्ट्र।
सवाल: आपकी वेश भूषा की बड़ी चर्चा होती है। इससे फायदा होता है क्या?
जवाब: मेरी वेश-भूषा कॉलेज टाइम से ही ऐसी ही है। जब मैं कॉलेज गया, तो लोगों ने कहा कि सिगरेट पीनी चाहिए। इस पर मैंने कहा कि कॉलेज में आ गए हैं इसलिए सिगरेट पीना क्या बात हुई। तो राजनीति में आने पर वेश-भूषा बदलने की जरूरत नहीं है।