लखनऊ ,(एजेंसी) 26 नवम्बर । लखनऊ महोत्सव में हो रहे सांस्कृतिक कार्यक्रम में कलाकारों ने मणिपुरी नृत्य, भजन और गजल गायन के साथ कथक से बुधवार की शाम को सतरंगी बना दिया। भोजपुरी गायिका शैलबाला ने ‘हमका घुमाई दा’ और ‘सुना देवर जी बतिया कहिले’ जैसे लोकगीत सुनाए। मीरा दीक्षित और कुमकुम घर की शिष्या अस्मिता श्रीवास्तव ने शिवस्तुति ‘जय महेश जटा जूट’ से कथक प्रस्तुति की शुरुआत की, फिर सुप्रसिद्ध दादरा ‘रंगी सारी गुलाबी चुनरिया’ पर एक से एक भाव पेश किए। श्रुति मालवीय ने ‘मन तड़पत हरि दर्शक को’ और ‘श्रीराम चन्द्र कृपालु भज मन’ भजनों के बाद ‘होश वालों को खबर क्या’ गजल सुनाई।
रसराज मुखर्जी के दल ने कृष्ण अभिसार के तहत आलोलो चन्द्र कलश रचना पर मणिपुरी नृत्य किया। राधा कृष्ण की इस प्रस्तुति के बाद ‘रतन हिंडोला पर बैठल राधा माधव’ पर मंजरी नर्तन किया। उनकी प्रस्तुति ने करताली नृत्य से विराम लिया। इसमें रसराज, अभिषेक, कुशाग्र, अनिल, आदित्य, विष्णु, मीरा, संतोषी, मनस्वी, तानिया और डोन ने नृत्य किया। इसके बाद अभिजीत राय चौधरी और दीपांकर राय चौधरी ने सरोद पर राग किरवानी पर आधारित रचना ‘तेरे बिन पिया जिया न जागे’ स्वरित की। तबले पर शीतल प्रसाद मिश्र और विकास मिश्र ने संगत दी। एम.ए. खान ग्रुप के भजन गजल कार्यक्रम का आगाज जुनून फिल्म फेम जमील अहमद ने ‘ऐ री मैं तो प्रेम दीवानी’ से किया। मजाज लखनवी को याद करते हुए उन्होंने ‘अल्ला हू’ और ‘खुसरो रैन सुहाग की और आज रंग है’ रचनाएं सुनाकर प्रशंसा हासिल की।