नई दिल्ली,(एजेंसी) 07 नवम्बर । सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार से कहा हुआ है कि वह उन अफसरों की लिस्ट याचिकाकर्ता को मुहैया कराए जिन पर अवैध खनन रोकने की जिम्मेदारी है। अरावली पहाडि़यों में अवैध खनन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी जिस पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश जारी कर रखा है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि वह सिर्फ मॉनिटरिंग नहीं करेंगे बल्कि इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होगी। अदालत ने सरकार से कहा है कि वह उन अधिकारियों की सूची तैयार करें जिन पर अवैध खनन रोकने की जिम्मेदारी है। यह लिस्ट याचिकाकर्ता को मुहैया कराई जाए। याचिकाकर्ता इस मामले में आंकलन के बाद कोर्ट को बताए। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने सुनवाई करते हुए मामले की अगली सुनवाई 6 हफ्ते के लिए टाल दी थी। अब इसी महीने के आखिर में इस केस की अगली सुनवाई हो सकती है।
1992 में अरावली रेंज को खनन से सुरक्षित किया था:
मई 1992 में राजस्थान और हरियाणा इलाके में फैले अरावली रेंज को माइनिंग से प्रोटेक्ट किया गया था और संबंधित इलाके को इकोलॉजिकल सेंसेटिव एरिया घोषित किया गया था। 2003 में केंद्र सरकार ने इस इलाके में माइनिंग पर रोक लगा दी थी।
नोटिफाइड इलाके में 2004 में लगी थी खनन पर रोक:
अरावली रेंज के नोटिफाड इलाके में सुप्रीम कोर्ट ने 2004 में माइनिंग पर रोक लगाई थी। मई 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने 448 वर्ग किलोमीटर इलाके में रोक बढ़ाते हुए फरीदाबादए गुड़गांव और हरियाणा के मेवात जिले में स्थित अरावली रेंज में खनन पर रोक लगाई थी।
पर्यावरण के नुकसान के कारण है माइनिंग बैन:
पर्यावरण को होने वाले नुकसान के मद्देनजर यह बैन लगाया गया था। यह बैन हरियाणा से लेकर राजस्थान तक फैले अरावली पहाड़ के रेंज में लगाया गया था। अदालत ने जंगल के एरिया और पर्यावरण एक्ट के तहत प्रोटेक्टिट इलाके में अरावली रेंज में माइनिंग पर रोक लगा रखी है।
सुप्रीम कोर्ट में नए सिरे से दाखिल हुई याचिका:
सुप्रीम कोर्ट में नए सिरे से एक अर्जी दाखिल कर कहा गया था कि कोर्ट के बैन के बावजूद कुछ इलाके में माइनिंग हो रही है जिसके बाद कोर्ट ने माइनिंग पर लगाई गई रोक का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सेंट्रल इंपारमेंट कमिटी सीईसी की रिपोर्ट का भी उल्लेख किया गया था जिसमें बताया गया था कि अवैध खनन जारी है और इसके लिए तमाम फोटोग्राफ दिखाए गए।
अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाए:
सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान सवाल उठाया था कि इसका हल क्या है। इसके लिए उन अधिकारियों पर जिम्मेदारी तय की जाए और कार्रवाई की जाए जिनका काम है कि वह अवैध खनन रोकें लेकिन वह उसे रोक पाने में सफल नहीं हो रहे हैं। अदालत ने कहा कि जिन अफसरों और अथॉरिटी की जिम्मेदारी है कि वह अवैध खनन रोकें, अगर वह इसे रोकने में सफल नहीं हो रहे हैं तो फिर उन पर कार्रवाई होनी चाहिए।