पार्टी से टिकट कटने और सीएम से मिलने के सवाल पर कुलदीप सिंह ने कहा कि वह मुख्यमंत्री के साथ हैं। जहां तक चुनाव लड़ने की बात है, तो लड़ना और जीतना अच्छी तरह से आता है। बोले, 15 साल से चुनाव ही लड़ रहे हैं। कहा कि मतदाताओं का साथ और क्षेत्र के विकास के बूते वह यह भी जीतेंगे।
धर्मेंद्र सिंह यादव ने बताया कि गर्व है कि पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव ने वर्षों से पार्टी के लिए किए जा रहे संघर्ष और मेहनत को देखा और विधानसभा चुनाव में मौका दिया। बताया कि 1997 में कानपुर विश्वविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव जीतने के बाद वह सपा और मुलायम सिंह यादव के नजदीक आए। बताया कि 2004 में बिहार विधानसभा चुनाव, 2010 में गाजीपुर और 2012 में गोंडा के चुनाव प्रभारी रहे। इससे पहले 2012 में भी उन्होंने भगवंतनगर से टिकट मांगा था लेकिन नहीं मिल सका। 2016 में पत्नी को पुष्पा यादव को सिकंदरपुर कर्ण से ब्लाक प्रमुख का चुनाव जिताया। धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि वह आभारी हैं पार्टी के राष्ट्रीय और प्रदेश अध्यक्ष के जिन्होंने उनकी वर्षों की मेहनत और लगन को समझा और विधानसभा चुनाव में मौका दिया।
चार प्रत्याशी मुलायम और अखिलेश दोनों की पसंद
जिले के तीन विधायक समेत चार प्रत्याशी ऐसे भी हैं जिनके नाम मुलायम सिंह और मुख्यमंत्री दोनों की लिस्ट में हैं। वह सभी खुद को खुशकिस्मत मानते हैं कि उनका नाम दोनों ही लिस्ट में है और उन पर किसी का ठप्पा नहीं लगा है। सफीपुर विधायक और स्वास्थ्य राज्यमंत्री सुधीर रावत, बांगरमऊ विधायक बदलू खां, पुरवा विधायक उदयराज यादव और सदर सीट से प्रत्याशी मनीषा दीपक के नाम दोनों की लिस्ट में शामिल हैं।
असमंजस में वोटर और सपोर्टर
सपा प्रत्याशियों को लेकर पूरे दिन असमंजस की स्थिति रही। पार्टी के लोग ही नहीं अन्य प्रतिद्वंद्वी दलों के लोग भी यह पता लगाने में जुटे रहे कि आखिर सपा ने किसे प्रत्याशी घोषित किया है और मुख्यमंत्री की लिस्ट में कौन-कौन से नाम हैं। शाम तक स्थिति स्पष्ट हुई तो राहत की सांस ली। हालांकि पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता भगवंतनगर को लेकर परेशान हैं कि वहां मुख्यमंत्री की ओर से घोषित प्रत्याशी का चुनाव चिह्न क्या होगा। वहीं पार्टी के पदाधिकारियों का मानना है आने वाले दिनों में सपा में कई और धमाके होंगे।