नई दिल्ली,एजेंसी-17 जुलाई। ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) ने मंगलवार को ब्राजील के फोर्टालेजा में आयोजित अपने छठे शिखर सम्मेलन में फोर्टालेजा घोषणा पत्र को मंजूरी दी।
घोषणा पत्र में कहा गया है कि आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के समन्वय में संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका है।
इसमें कहा गया है, “हम सभी पक्षों से वित्तीय मदद देने, प्रोत्साहन, प्रशिक्षण देने या किसी भी प्रकार से आतंकवादी गतिविधियों को मदद करने से बचने का आह्वान करते हैं।”
अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आतंकवाद के प्रति नाकाबिले बर्दाश्त की नीति होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आतंकवाद को निशाना बनाने में चुनाव करने की नीति उचित नहीं है और आतंकवादी ताकतें खास तौर से बुनियादी नियमों को धता बताने वाले देशों को अलग-थलग किया जाना चाहिए।
घोषणा पत्र में आतंकवादियों और उनके समर्थकों द्वारा सूचना एवं संचार तकनीक का इस्तेमाल बढ़ते जाने पर भी चिंता जताई गई है।
पांचों सदस्य देशों ने सीरिया, यूक्रेन और इराक में जारी संकट पर चिंता जताई है।
आतंकवादियों के कब्जे से क्षेत्रों को आजाद करने के लिए संघर्ष कर रहे इराक का जिक्र करते हुए ब्रिक्स देशों ने कहा है कि वे संकट से उबरने और अपनी क्षेत्रीय अखंडता को बरकरार रखने के लिए इराक की सरकार के प्रयासों का मजबूती से समर्थन करते हैं।
घोषणा पत्र में कहा गया है, “हम इराक में फैली अस्थिरता और क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधि बढ़ने पर चिंता जाहिर करते हैं और सभी पक्षों से आतंकवाद के खतरे से सुसंगत तरीके से निपटने की अपील करते हैं।”
यूक्रेन के मुद्दे पर ब्रिक्स देशों ने समग्र वार्ता, विवाद का समाधान और इसमें शामिल सभी पक्षों से संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र के अनुसार शांतिपूर्ण समाधान तलाशने का आह्वान किया।
सीरिया का उल्लेख करते हुए ब्रिक्स ने हिंसा पर गंभीर चिंता जताई और सभी पक्षों द्वारा मानवाधिकारों की बढ़ती अवहेलना की निंदा की।
ब्रिक्स देशों ने अरब-इजरायल विवाद का समग्र और स्थायी समाधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की।
ईरान के परमाणु कार्यक्रम मुद्दे का उल्लेख करते हुए ब्रिक्स देशों ने कहा है कि समझौता समाधान का कोई विकल्प नहीं है और राजनीतिक एवं कूटनीतिक तरीकों एवं वार्ता को समर्थन देने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की।
घोषणा पत्र में कहा गया है, “हम अंतर्राष्ट्रीय जवाबदेही से तालमेल रखते हुए परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण प्रयोग के ईरान के अधिकार को स्वीकार करते हैं।”
अफगानिस्तान के बारे में ब्रिक्स देशों ने कहा है कि शांति और स्थायित्व को बनाए रखने के लिए देश को विदेशी निवेश और विकास सहायता की दरकार है।
ब्रिक्स देशों ने समुद्री रास्ते से तस्करी और मादक पदार्थो की समस्या से निपटने के लिए और ठोस कार्रवाई का आह्वान किया है।
ब्रिक्स ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) सुधार लागू नहीं होने पर निराशा जताई है और कहा है कि सुधार लागू न कर पाने की विफलता ने वैश्विक ऋणदाताओं की वैधता, विश्वसनीयता और कार्यसाधिता पर नकारात्मक प्रभाव डाला है।
ब्रिक्स देशों ने बिना देरी सुधार के लिए आईएमएफ की सदस्यता की भी मांग करते हुए घोषणा पत्र में कहा है, “आईएमएफ सुधार प्रक्रिया उच्च स्तरीय प्रतिबद्धता पर आधारित है, जिसने कोष के संसाधनों को पहले ही सुदृढ़ किया है और अब इसकी प्रशासनिक संरचना को आधुनिक बनाया जाना चाहिए, ताकि विश्व अर्थव्यवस्था में उभरते बाजारों और विकासशील देशों का बढ़ता प्रभाव नजर आए।”
आर्थिक मोर्चे पर ब्रिक्स ने समग्र सहयोग और आर्थिक साझीदारी को बढ़ाने का संकल्प लिया है।
घोषणा पत्र में कहा गया है कि यह समूह शुरू से ही शांति, सुरक्षा, विकास तथा आपसी सहयोग के उद्देश्य को लेकर आगे बढ़ रहा है।
इन देशों ने उक्त उद्देश्यों के साथ-साथ भविष्य में खुलेपन, समावेशी तथा अपसी सहयोग के आधार पर एक नए दृष्टिकोण के साथ साझेदारी बढ़ाने का संकल्प लिया है।
“हम समग्र सहयोग की दिशा में नए क्षेत्र तलाशने और ब्रिक्स देशों के बीच बाजार संपर्क बढ़ाने, वित्तीय एकीकरण, आधारभूत संरचनाओं को जोड़ने तथा लोगों के आपसी संपर्क बढ़ाने के लिए आर्थिक सहयोग मजबूत करने के लिए तैयार हैं।”
ब्रिक्स समूह ने यूएन (संयुक्त राष्ट्र) फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज के तहत अलग-अलग जिम्मेदारियों एवं क्षमताओं अनुरूप वैधानिक रूप से बंधे समझौते के लिए वैश्विक जलवायु परिवर्तन वार्ता को आखिरी रूप देने की भी मांग की।
शिखर सम्मेलन के दौरान ब्रिक्स देशों ने संयुक्त राष्ट्र की ओर से 2015 में द्वितीय विश्व युद्ध की 70वीं सालगिरह पर विशेष कार्यक्रम आयोजित करने का भी समर्थन करने की बात कही।
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