मन मचलना, दिल धड़कना, पेट में गुदगुदी उठना, बदन सिहर जाना, प्यार और आकर्षण दोनों के शुरुआती सिम्पटम कुछ ऐसे ही होते हैं। लेकिन में दोनों में भारी अंतर होता है। यहां जानें।
आकर्षण एक नजर का होता है जबकि प्यार उम्र भर के लिए होता है। प्यार फलीभूत होने में समय लेता है। जिससे आप प्यार करते हैं उससे आप झगड़ते भी है। लेकिन ऐसा नहीं कि उस झगड़ने से आपके रिश्ते में कड़वाहट आ जाए। बल्कि आप और करीब आते हैं। अगर आकर्षण है तो कुछ दिनों में खत्म हो जाएगा, लेकिन प्यार ताउम्र साथ रहेगा।
आकर्षण अंदर की उत्कंठा का ही एक रूप है। प्यार हमेशा अंतरात्मा से होता है। प्यार में आपको घबराहट, बेचैनी नहीं होती। जबकि आकर्षण का तिलिस्म आपकी हालत खराब करता रहता है। कभी आप खुश हो जाएंगे तो कभी आप एकदम से बेचैन। आकर्षण में दिल की धड़कन तेजी से बढ़ जाना या हथेलियों में पसीना आना आम बात है। प्यार है तो आप कम परेशान होंगे।
जब आप किसी के सम्मोह में होते हैं तो आप उसके सामने उसके हिसाब से परफैक्ट दिखने की कोशिश करते हैं। जबकि प्यार में ऐसा नहीं होता है। अगर किसी से प्यार करते हैं तो आपको बनावटी नहीं होना पड़ता। आप जैसे हैं उसके सामने भी वैसे ही रहते हैं।
आकर्षण का मतलब है कि आप अपनी परवाह किए बिना सामने वाले को तुष्ट करना चाहेंगे, जबकि प्यार में दोनों की खुशी और संतुष्टी मायने रखती है। इसलिए आप किसी से प्यार करते हैं तो आप अपनी और सामने वाले की यानी दोनों की खुशी और सुकून की परवाह करेंगे।
आकर्षण में हमेशा ‘तुम और मैं’ को लेकर बात होती है। जैसे कि मैं ऐसा/ऐसी हूं, तुम मुझसे अच्छे/अच्छी हो। लेकिन प्यार में ऐसा नहीं होता। प्यार में तुलनाएं नहीं होतीँं। प्यार में ‘तुम और मैं’ की जगह ‘हम’ होता है। प्रेमी और प्रेमिका एक-दूसरे की तुलना नहीं करते। आकर्षण के दौरान साथी के साथ मतभेद होते ही रहते हैं, प्यार में साथी की पसंद-नापसंद से कोई फर्क नहीं पड़ता। आप अपने साथी की विचारधारा का सम्मान करते हैं और स्वीकार भी करते हैं।
आकर्षण में आपको अपने साथी के साथ शारीरिक संबंध बनाने की जल्दी रहेगी। प्यार है तो आपके लिए साथी की झलक ही काफी होगी। आप उसके साथ वक्त बिताना पसंद करेंगे न कि हमबिस्तर होना। उसकी एक मुस्कान ही आपको नैसर्गिक आनंद से आत्मविभोर कर देंगी।
आकर्षण है तो साथी की ऐसी आसक्ति होगी कि आप सबकुछ भुलाकर उसके के इर्द-गिर्द रहना पसंद करेंगे। जबकि प्यार है तो आप पहले से ज्यादा आत्मनिर्भर बनने की कोशिश करेंगे। अपने साथी की गैरमौजूदगी में भी आपका बाकी दुनिया से मन लगा रहेगा। या यूं कहिए जब आप प्यार में होते हैं तो आप सारी दुनिया से प्यार करने लगते हैं।
साथी के रहते हुए अगर आपके स्वभाव में ईष्या आने लगे, मसलन आप अपने प्रेमी के और दोस्तों, करीबियों या सहकर्मियों से जलने लगे या खो देने का भाव आए तो समझलें कि आप साथी के आकर्षण में हैं। प्यार में किसी तरह का भय नहीं सताता है। आपको आपके साथी के साथ रहने वाले लोगों से फर्क नहीं पड़ता। आपको उस पर शक नहीं, भरोसा होता है।