मुंबई,(एजेंसी)25 अगस्त। बिहार के दशरथ मांझी जैसा ही महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में भी एक ‘माउंटेन मैन’ है। पहाड़ काट कर रास्ता बनाने वाले मांझी जैसी ख्याति 84 वर्षीय राजाराम भापकर को अब तक नहीं मिली। लेकिन भापकर ने भी अपने दम पर सड़कें बनाने के लिए सात पहाड़ काट डाले हैं।
अहमदनगर जिले के गुंडेगांव में अध्यापक रह चुके राजाराम भापकर ने पूरे इलाके में 40 किलोमीटर लंबी सड़क बनाने के लिए सात पहाड़ काटने में अपनी जिंदगी के 57 साल लगा दिए। इस अथक परिश्रम से उनके इलाके के लोग उनका बहुत सम्मान करते हैं।
भापकर गुरुजी के नाम से विख्यात यह शख्स देखने में एकदम साधारण ग्रामीण नजर आता है। सफेद कमीज, पैजामा और गांधी टोपी पहनने वाले भापकर ने अपने मजबूत इरादों से पहाड़ों को भी हिला दिया।
सिर्फ सात जमात पढ़े भापकर ने बताया कि देश की आजादी के समय गुंडेगांव से बगल के गांव जाने के लिए पगडंडी तक नहीं थी। जब वह कोलेगांव स्थित जिला परिषद स्कूल में 1957 से 1991 के बीच पढ़ाते थे, तब उनके गांव के लोगों को कोलेगांव जाने के लिए तीन गांवों को पार करके जाना पड़ता था। उन्होंने अपनी जद्दोजहद का जिक्र करते हुए बताया कि सरकारी अमले से उन्होंने संतोष पर्वत को काटकर 700 मीटर की सड़क बनाने की अपील की। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इसलिए राजाराम ने खुद ही आसपास के गांवों से जोड़ने वाली सात सड़कें 57 साल की अवधि में बनाईं।
सबसे पहले भापकर ने कोलेगांव से डेउलगांव होकर जाने वाले 29 किलोमीटर के रास्ते का छोटा विकल्प पहाड़ काटकर मात्र दस किलोमीटर लंबा कच्चा रास्ता बनाकर किया। उनके साथ काम करने वाले ग्रामीणों को उन्होंने अपनी जेब से पैसा दिया। उस कच्चे रास्ते पर 1968 में एक साइकिल से निकलना भी दुश्वार था। अब इसी रास्ते से बड़े-बड़े वाहन गुजरते हैं। सड़क 1997 में बनकर तैयार हुई।