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पीएम को नीतीश का खुला पत्र, DNA वाले बयान पर मोदी मांगे माफी


पटना,(एजेंसी)05 अगस्त। बीते 25 जुलाई को मुजफ्फरपुर में एनडीए की रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जमकर आलोचना की थी। इसमें उन्होंने मुख्यमंत्री के ‘डीएनए’ को खराब बताया था। संदर्भ और अर्थ जो भी हों, मोेदी की इस टिप्पणी ने बिहार की राजनीति में उबाल ला दिया है।

मोदी एक बार फिर अगस्त में बिहार में तीन रैलियों को संबोधित करने वाले हैं। उनकी एक रैली नाै अगस्त को गया में है। उनकी आगामी रैलियों के पहले विपक्ष उनसे डीएनए वाली टिप्पणी पर घेरने की तैयारी में लग गया है। इसी सिलसिले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज ट्वीट कर उन्हें एक खुला पत्र जारी किया है।

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File Photo

आइए देखें, नीतीश कुमार का नरेंद्र मोदी के नाम खुला पत्र….

माननीय मोदी जी,
कुछ दिनों पहले बिहार में एक जनसभा को संबोधित करते हुए आपने मेरे डीएनए पर जो टिप्पणी की, उससे मुझे और समाज के एक बड़े तबके को गहरी ठेस पहुंची है। मेरा मानना है कि आपके इन शब्दों से न सिर्फ बिहार बल्कि बिहार से बाहर रहने वाले लोगों ने भी खुद को अपमानित महसूस किया है। आप कुछ दिनों में फिर बिहार आने वाले हैं। मैं आपको उन सभी लोगों की ओर से यह पत्र लिख रहा हूं, जो आपकी इस टिप्पणी से आहत हुए हैं। यह आम विचार है कि आपके द्वारा की गयी यह टिप्पणी आपके पद की गरिमा के अनुरूप नहीं है।
लेकिन, ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि हम लोगों पर इस तरह की टिप्पणी की गयी हो।

nitish

इसके पहले भी आपके साथी और भाजपा नेता श्री नितिन गडकरी जी ने कहा था कि “जातिवाद बिहार के डीएनए में है।” मोदी जी, यह एक विडम्बना ही है कि पिछले ही साल इन्हीं बिहारवासियों ने आप पर विश्वास करते हुए आपकी अगुवाई में बहुमत की सरकार बनाने में महत्वपूर्ण योगदान किया था। यह वही राज्य है जहां मानव सभ्यता फली-फूली। इस धरती ने इतिहास की अनेक महान विभूतियों को जन्म दिया है। मेरा मानना है कि इस तरह के वक्तव्यों से जनता के मन में आपके नेतृत्व के प्रति विश्वास में कमी आयी है।

मैं बिहार का बेटा हूं। इस लहजे से मेरा और बिहार के लोगों का डीएनए एक जैसा ही है। मोदी जी, आप जानते हैं कि मेरे पिता एक स्वतंत्रता सेनानी थे और मां एक सामान्य गृहिणी। मैं बिहार के ग्रामीण परिवेश के एक साधारण परिवार में पला-बढ़ा हूं। चालीस वर्षों के राजनैतिक जीवन में मैंने गाँधी, लोहिया, जेपी के आदर्शों पर चलने का प्रयत्न किया है और अपनी क्षमता के अनुसार जनता के हित के लिए काम किया है। हमारा यह मानना है कि आपके वक्तव्य ने मेरे वंश पर सवाल तो उठाया ही है, साथ ही, बिहार की विरासत और बिहारी अस्मिता को भी ठेस पहुंचाई है। इस तरह के वक्तव्य इस धारणा को भी बल देते हैं कि आप और आपकी पार्टी हम बिहारवासियों के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं। मुझे आश्चर्य होता है कि आपके सचेत विवेक ने इन वक्तव्यों की गंभीरता को कैसे नहीं समझा?

अतः इस पत्र के माध्यम से मेरा आपसे यह अनुरोध है कि आप अपने शब्दों को वापस लेने पर विचार करें। मुझे पूरा विश्वास है कि ऐसा करने से लोगों की आहत भावनाओं को राहत मिलेगी। जिससे आपके प्रति न सिर्फ उनका सम्मान बढ़ेगा, बल्कि उनकी नजरों में आपका कद और भी ऊँचा हो जायेगा।
आपका
नीतीश कुमार


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