लखनऊ,(एजेंसी)21 जुलाई। उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी को लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) में बड़ा प्लॉट दिलाने के लिए प्रदेश के दो दर्जन मंत्रियों-विधायकों ने सिफारिशी पत्र लिखा है। इतना ही नहीं, मुख्य सचिव के दफ्तर, प्रमुख सचिव आवास व प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री तक के कार्यालय से पैरवी के करीब एक दर्जन पत्र लिखे गए हैं। इस अफसर के मामले से संबंधित फाइलें जितनी मोटी हो चुकी हैं, उतनी एलडीए में संपत्तियों से जुड़ी दूसरी कोई नहीं। इस मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय में एक दर्जन से ज्यादा संदर्भ दर्ज हो चुके हैं।
मामला कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक राजा सिंह यादव का है। उनके प्लॉट से संबंधित सिफारिशी पत्रों ने आवंटियों को त्रस्त कर देने के लिए कुख्यात एलडीए के अफसरों को भी पस्त कर दिया। कभी एलडीए के अफसरों को प्रमुख सचिव ने तलब किया तो कभी मुख्यमंत्री कार्यालय से पूछा गया। अंतत: 14 जुलाई को मुख्यमंत्री के विशेष सचिव मुथुकुमार स्वामी ने एलडीए अफसरों व राजा सिंह को आमने-सामने कर मुख्यमंत्री कार्यालय यानी एनेक्सी के पंचम तल पर पंचायत की।
यह है मामला
कृषि विभाग में संयुक्त निदेशक राजा सिंह यादव को गोमतीनगर विस्तार के सेक्टर एक में 1/163 नम्बर का भूखंड आवंटित हुआ था। इसकी रजिस्ट्री उन्होंने 2009 में कराई थी। बाद में यहां के संशोधित ले आउट में एक और भूखंड 1/162 ए सृजित हुआ। इसके सृजन से 46 वर्गमीटर जमीन और बच गई, जिसे प्राधिकरण ने राजा सिंह को दे दिया। राजा ने इसकी रजिस्ट्री वर्ष 2013 में कराई।
इसमें भी पहले की तरह उनके प्लॉट की चौहद्दी में पूर्व में व्यावसायिक भूखंड, पश्चिम में भूखंड संख्या 1/162 एक, उत्तर में 18 मीटर चौड़ा मार्ग तथा दक्षिण में गु्रप हाउसिंग दर्ज किया गया। राजा सिंह अपने भूखंड से सटे 4.50 गुणे 20 साइज के अतिरिक्त भूखंड व इसमें से 4.50 गुणे चार साइज की सड़क की जमीन भी मांग रहे थे। एलडीए जमीन देता तो 1/164 नम्बर के भूखंड का रास्ता बंद हो जाता। लिहाजा राजा सिंह ने इसके लिए इतने पत्र मंत्रियों, विधायकों व अफसरों से लिखवाए कि एलडीए में उनके नाम की तीन काफी मोटी फाइलें बन गईं। अब एलडीए अफसर उनके नाम से घबराते हैं। 14 जुलाई को मुख्यमंत्री के विशेष सचिव मुथु कुमार स्वामी ने राजा सिंह व एलडीए अधिकारियों को एक साथ बैठाकर मामले की सुनवाई की, जिसमें उन्होंने राजा सिंह का दावा पूरी तरह खारिज कर दिया। उन्होंने राजा सिंह को दोबारा शिकायत न करने को कहा लेकिन प्राधिकरण के अधिकारियों का मानना है कि राजा सिंह यादव नहीं मानेंगे और उनके लिए सिफारिशी पत्र आते ही रहेंगे।
राजा सिंह यादव जो जमीन मांग रहे हैं वह दी ही नहीं जा सकती है। जमीन देने से एक मकान का दरवाजा बंद हो जाता। राजा सिंह ने कई मंत्रियों व विधायकों से गलत शिकायतें कीं। आखिर में मुख्यमंत्री कार्यालय में 14 जुलाई को सुनवाई के बाद उनके मामले का निस्तारण कर दिया गया।
जेएन रेड्डी, मुख्य नगर नियोजक, एलडीए