शिक्षा महानिदेशक की अध्यक्षता में गठित समिति ने बोर्ड परीक्षा परिणाम के लिए फार्मूला तैयार कर शासन एवं शिक्षा मंत्री को सौंप दिया है, लेकिन कमेटी की ओर से तय फार्मूले से शिक्षकों में संतोष नहीं है। शिक्षकों ने बोर्ड की पिछली कक्षाओं को ज्यादा वेटेज दिए जाने पर आपत्ति जताई है।
सीबीएसई एवं पड़ोसी राज्यों द्वारा बोर्ड कक्षाओं के लिए परिणाम का फार्मूला तैयार करने के बाद से राज्य पर दवाब बढ़ गया था। विभिन्न कारणों के चलते प्रदेश के सरकारी स्कूलों में सालभर पढ़ाई और परीक्षाएं नहीं हो सकीं। ऐसे में शिक्षा महानिदेशक विनय शंकर पांडेय की अध्यक्षता में गठित समिति ने इन सभी कारणों को ध्यान में रखते हुए 10वीं का परिणाम तैयार करने को नौवीं कक्षा से 75 फीसद अंक शामिल करने की सिफारिश की है। वहीं 12वीं के परिणाम में 10वीं के 50, 11वीं के 40 और 12वीं में सालभर में हुई परीक्षाओं के 10 फीसद अंक शामिल करने की सिफारिश की है। शिक्षकों का मत है कि नान बोर्ड कक्षाओं को इतनी ज्यादा प्राथमिकता नहीं मिलनी चाहिए। माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डा. अनिल शर्मा ने कहा कि बोर्ड कक्षाओं एवं नान बोर्ड कक्षाओं को लेकर छात्रों की पढ़ाई और तैयारी को लेकर मानसिकता अलग होती है। ऐसे में नान बोर्ड कक्षाओं के अंकों को बोर्ड के परिणाम में ज्यादा तवज्जो नहीं दी जानी चाहिए। उधर, राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री डा. सोहन सिंह माजिला ने कहा कि नान बोर्ड कक्षाओं को ज्यादा तवज्जो देने की बजाय आंतरिक मूल्यांकन दिए जाने पर विचार करना चाहिए
माध्यमिक शिक्षक संघ ने जताया विरोध
देहरादून : माध्यमिक शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग द्वारा बोर्ड कक्षाओं के परिणाम के लिए तय फार्मूले पर विरोध व्यक्त किया है। बुधवार को शिक्षकों ने आनलाइन बैठक आयोजित कर इस पर चर्चा की। संघ ने कहा कि शिक्षकों को सुझाव भेजने और निदेशालय की ओर से मांगी गई जानकारियां भेजने के लिए 24 जून तक का समय दिया था। लेकिन हड़बड़ी में इससे पहले ही फार्मूला तक तैयार कर दिया गया।
प्रदेश उपाध्यक्ष प्रदीप त्यागी ने कहा कि इस फार्मूले से 12वीं पास करने जा रहे उन प्रतिभाशाली विद्याॢथयों को नुकसान होगा जिनको परीक्षाफल मेरिट के आधार पर दिल्ली, जवाहरलाल नेहरू, प्रयागराज, काशी आदि विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेना होगा। सभी जिलाध्यक्षों ने एक स्वर में कहा कि घोषित फार्मूले में विषय अध्यापक पर अविश्वास व्यक्त किया गया है। जबकि संघ ने कक्षा 10 और कक्षा 12 में 30 से लेकर 40 फीसद मूल्यांकन आंतरिक आधार पर करने का सुझाव दिया था। क्योंकि विषय अध्यापक बच्चों की प्रतिभा और योग्यता से सबसे अधिक परिचित होता है। प्रयोगात्मक विषयों में 20, 30 अथवा 70 अंक की परीक्षा के प्राप्तांक पहले से ही बोर्ड के पास हैं। जिन विषयों में प्रयोगात्मक परीक्षा नहीं है, उनमें ये अंक विषय अध्यापकों द्वारा दिए जा सकते हैं। बैठक में विजय प्रधान, प्रदेश सलाहकार अविनाश शर्मा, हेम कबड़वाल, प्रदेश मंत्री एमसी पांडेय, रामकुमार चौहान, महावीर मेहता समेत अन्य लोग मौजूद रहे।