कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान अपनी जान की परवाह न करते हुए लोगों के जीवन को बचाने में लगे फ्रंट लाइन वॉरियर्स यानी डॉक्टर्स भी अब सुविधायों की कमी के कारण परेशान हो गए हैं। किसी तरह से काम चला रहे सैफई आयुर्विज्ञान संस्थान के डॉक्टर्स का धैर्य आज जवाब दे गया। वह पीपीई किट, हैंड गलब्स तथा फेस मास्क की मांग को लेकर धरने पर बैठ हैं।
सैफई में एम्स तथा एसजीपीजीआई लखनऊ की तर्ज पर आयुर्विज्ञान संस्थान की स्थापना की गई है। यहां पर भी सैकड़ों कोविड-19 से संक्रमित लोग भर्ती हैं। इनके इलाज में लगे डॉक्टर्स अब तक तो बिना किसी अच्छी सुविधा के लोगों के इलाज में लगे थे, लेकिन अब इन्होंने काम न करने का फैसला किया है। करीब तीन दर्जन डॉक्टर्स यहां पर ट्रामा सेंटर के गेट पर धरना दे रहे हैं।
देश में कोरोना संक्रमण से हाहाकार मचा हुआ है। इसके विपरीत यहां के सैफई अस्पताल में सुविधाओं का अभाव है। सुविधाओं में पीपीई किट, ग्लब्स और फेस मास्क की मांग को लेकर उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई के जूनियर डॉक्टर हड़ताल कर इमरजेंसी ट्रामा सेंटर के गेट के सामने धरने पर बैठ गए हैं। यह सभी यहां पर कुलपति खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं। जिसकी वजह से विश्वविद्यालय में सभी स्वास्थ्य सेवाएं ठप हो गई और यहां पर भर्ती मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
जूनियर डॉक्टरों ने किसी भी तरह की सुविधा न मिलने का आरोप लगाया है। जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि वह पिछले 13 माह से कोविड ड्यूटी कर रहे हैं लेकिन इस महामारी से लडऩे के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने यहां पर समुचित व्यवस्था नहीं की है। हमको पीपीई किट, ग्लब्स तथा फेस मास्क जैसी अति आवश्यक जनउपयोगी वस्तु अपने पैसे से खरीदनी पड़ रही है। इस महामारी से लडऩे के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा समुचित व्यवस्था नहीं की गई है जिसका असर उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। कई बार इस संबंध में शिकायत करने पर भी उनकी मांगों को अनदेखा किया जा रहा है।
सिर्फ झूठा आश्वासन दिया जाता है और कहा जाता है मीटिंग में आपकी बात रखी जाएगी सिर्फ मीटिंग ही मीटिंग हो रही है मरीजों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। खासकर कोरोना मरीजों के इलाज के लिए बुनियादी सुविधाओं का आरोप है। डॉक्टरों ने कहा कि अस्पताल में फेस मास्क, पीपीई किट और ग्लव्स तक की दिक्कत है। उसके बाद अस्पताल प्रबंधन की तरफ व्यवस्था नहीं की गई थी। मालूम हो बुधवार को जूनियर डॉक्टरों का गुस्सा उस समय फूटा जब उनके एक साथी डॉक्टर कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर प्राइवेट रूम खोलने की बात कही तो विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा स्पष्ट मना किया गया।
कहां गया कि यह जो रूम खाली हैं। वह सिर्फ वीआईपी लोगों के लिए रखे गए हैं। इसी बात पर नाराज होकर बड़ी संख्या में जूनियर डॉक्टर एकत्रित होकर विश्वविद्यालय के इमरजेंसी ट्रामा सेंटर के सामने जमीन पर बैठकर प्रदर्शन करने लगे हो विश्वविद्यालय प्रशासन पर विभिन्न तरीके के आरोप लगाते हुए कुलपति के खिलाफ नारे लगाए। आरोप था कि अभी जब 15 रूम खाली थे और हम चिकित्सक दिन रात मेहनत करते हैं उसके बावजूद भी हम लोगों को सुविधाएं नहीं मिल रही है।
नर्सिंग एसोसिएशन ने कुलपति के नाम दिया था 10 सूत्री ज्ञापन : मंगलवार को नर्सिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल गोयल एवं जूनियर डॉक्टरों ने मंगलवार को एकत्रित होकर प्रशासनिक भवन का घेराव करते हुए मूलभूत सुविधाओं को 24 घंटे के अंदर उपलब्ध कराने की लेकर कुलपति के नाम 10 सूत्री ज्ञापन दिया था। अन्यथा हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी थी। विश्वविद्यालय के कुलसचिव सुरेश चंद शर्मा ने मांगों को 48 घंटे में पूर्ण कराने का आश्वासन दिया था। कुलसचिव सुरेश चंद शर्मा का कहना है जूनियर डॉक्टरों को समझाया जा रहा है जल्द ही हड़ताल समाप्त कर काम पर लौट ने का प्रयास किया जा रहा है।
ऑक्सीजन की कमी को लेकर शिवपाल ने लिखा था सीएम को पत्र : प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं जसवंतनगर विधानसभा से विधायक शिवपाल सिंह यादव ने विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एवं प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर विश्वविद्यालय में ऑक्सीजन को पूर्ति कराने व मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने को लेकर बात कही थी।