छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व का भरोसा लगातार जीतते जा रहे हैं. यही वजह है कि असम विधानसभा चुनाव खत्म होते ही छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल टीम ने मिशन यूपी की कमान अपने हाथों में ले ली है. छत्तीसगढ़ से जो टीम असम भेजी गई थी, उसी टीम को यूपी में कांग्रेस की जमीनी हकीकत को जानने और समझने के लिए सूबे में हो रहे पंचायत चुनाव में लगा दिया गया है.
छत्तीसगढ़ कांग्रेस के कई नेताओं ने उत्तर प्रदेश में आकर पिछले सप्ताह ही अपना काम शुरू कर दिया है. यूपी पंचायत चुनाव के पहले चरण के 15 जिलों में कांग्रेस ने भूपेश बघेल की टीम को मोर्चे पर लगाया है. छत्तीसगढ़ से आए एक नेता को यूपी के एक जिले की कमान सौंपी गई है, जो अपने निर्धारित जिले में रहकर अभी पंचायत चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार की जीत का आधार तैयार कर रहे हैं. इस तरह से छत्तीसगढ़ से आए 15 लोगों को 15 जिला संयोजक बनाकर लगाया गया है.
यूपी में होने वाले पंचायत चुनावों को लेकर छत्तीसगढ़ के कांग्रेस कई कार्यकर्ताओं को पहले कई बार ट्रेनिंग दी गई है. इसके बाद अब उन्हें यूपी मिशन पर लगाया गया है. छत्तसीगढ़ से कांग्रेस विधायक और असम में प्रभारी सचिव के तौर पर भूमिका निभाने वाले विकास उपाध्याय ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि यूपी पंचायत चुनाव पार्टी के कार्यकर्ताओं का चुनाव है, जिसमें हमारी पहली राजनीतिक परीक्षा है. पंचायत चुनाव में स्थानीय मुद्दों के साथ हम छत्तीसगढ़ का रोल मॉडल पेश करेंगे. यूपी में भी रणनीति वही छत्तीसगढ़ वाली होगी, जिसके तहत कांग्रेस ने 15 सालों के बाद सत्ता में वापसी की थी.
असम में करीब तीन महीने पहले भूपेश बघेल की टीम तैनात की गई थी उसी तरह से उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव से जुड़ गए हैं. उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनावों के लिए छत्तीसगढ़ से पंचायत प्रमुखों, जिला पंचायत अध्यक्षों, पूर्व अध्यक्षों के साथ प्रदेश स्तरीय नेताओं को लगाया गया है. इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के संसदीय सलाहकार राजेश तिवारी को राष्ट्रीय सचिव बनाकर पिछले दिनों यूपी में प्रियंका गांधी की टीम में लगाया गया है. राजेश तिवारी की अगुवाई में छत्तीसगढ़ के कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता यूपी में काम कर रहे हैं.
राजेश तिवारी कहते हैं कि छत्तीसगढ़ में हमने बूथ स्तर पर काम किया था, जिसके दम पर 2018 में रिकॉर्ड सीटें जीतकर आए थे. छत्तीसगढ़ मॉडल की तर्ज पर यूपी में भी बूथ स्तर पर काम शुरू कर दिए हैं. अभी यूपी की 15 जिलों में छत्तीसगढ़ की टीम को लगाया है, लेकिन अब सभी 75 जिलों में इसी तरह की तैनाती हम करेंगे. पंचायत चुनाव के नतीजे कुछ भी आए, उसकी चिंता नहीं है. हमारा लक्ष्य 2022 के विधानसभा चुनाव है, जिसके लिए पंचायत चुनाव से हम अपना काम शुरू कर रहे हैं.
राजेश तिवारी मानते हैं कि यूपी का राजनीतिक माहौल छत्तीसगढ़ से काफी अलग है, लेकिन काम करने का तरीका अलग नहीं है. यूपी काफी बड़ा प्रदेश है और जमीनी स्तर से कांग्रेस कट गई थी और तीन दशक से पार्टी सत्ता से दूर है. कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेता साथ छोड़कर चले गए हैं. इसके अलावा जातीय और धार्मिक ध्रुवीकरण भी काफी ज्यादा है. इन चुनौतियों के बावजूद हम इसी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को एक नई राजनीतिक धार देने का काम करेंगे. पंचायत चुनाव के जरिए हर एक जिले के अलग-अलग मुद्दों को समझने में मदद मिलेगी.
वह कहते हैं कि यूपी के पंचायत चुनावों से हम अपनी मजबूत टीम तैयार करेंगे, क्योंकि यह कार्यकर्ताओं का चुनाव है. यही कार्यकर्ता बाद में अपने नेता को विधानसभा और लोकसभा में चुनाव लड़ाते हैं. उन्हीं कार्यकर्ताओं के दम पर विधानसभा चुनाव की जमीन को कांग्रेस के लिए उर्वरक बनाएंगे. विधानसभा चुनाव में अभी एक साल का वक्त है जबकि तीन महीन में असम की राजनीति के माहौल को छत्तीसगढ़ की टीम ने बदलने में सफल रही है तो यूपी में भी ऐसा ही करके दिखाने का जज्बा रखते हैं.