भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी आज 93 साल के हो गए हैं। उनका जन्म 8 नवंबर को कराची के एक सिंधी परिवार में हुआ था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दी हैं। आडवाणी का परिवार विभाजन के बाद भारत आकर मुंबई में बस गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार सुबह वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी को जन्मदिन की शुभकानाएं देने उनके निवास पहुंचे। इस दौरान उन्होंने आडवाणी को फूलों का गुलदस्ता भेंट किया। पीएम मोदी ने पैर छूकर उनसे आशीर्वाद भी लिया। इस मौके पर गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद रहे।
पीएम मोदी ने वरिष्ठ नेता के साथ जन्मदिन के मौके पर केक काटा और उन्हें खिलाया। आडवाणी ने भी पीएम मोदी को केक खिलाया। इस दौरान आडवाणी से मिलने आए नेताओं ने उनके संग बैठकर चर्चा भी की।
इससे पहले, पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, भाजपा को जन-जन तक पहुंचाने के साथ देश के विकास में अहम भूमिका निभाने वाले श्रद्धेय श्री लालकृष्ण आडवाणी जी को जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई। वे पार्टी के करोड़ों कार्यकर्ताओं के साथ ही देशवासियों के प्रत्यक्ष प्रेरणास्रोत हैं। मैं उनकी लंबी आयु और स्वस्थ जीवन की प्रार्थना करता हूं।
बता दें कि भाजपा के वरिष्ठ नेता और देश के सातवें उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी का जन्म पाकिस्तान के कराची में 8 नवंबर, 1927 को एक हिंदू सिंधी परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम किशनचंद आडवाणी और मां का नाम ज्ञानी देवी है। उनके पिता पेशे से एक उद्यमी थे।
शुरुआती शिक्षा उन्होंने कराची के सेंट पैट्रिक हाई स्कूल से ग्रहण की थी। इसके बाद उन्होंने हैदराबाद, सिंध के डीजी नेशनल स्कूल में दाखिला लिया। विभाजन के समय उनका परिवार पाकिस्तान छोड़कर मुंबई आकर बस गया। यहां उन्होंने लॉ कॉलेज ऑफ द बॉम्बे यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की। उनकी पत्नी का नाम कमला आडवाणी है। उनके बेटे का नाम जयंत आडवाणी और बेटी का नाम प्रतिभा आडवाणी है।
लाल कृष्ण आडवाणी 2002 से 2004 के बीच अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भारत के सातवें उप प्रधानमंत्री का पद संभाल चुके हैं। इससे पहले वह 1998 से 2004 के बीच भाजपा के नेतृत्व वाले नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) में गृहमंत्री रह चुके हैं।
वह उन लोगों में शामिल हैं जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी की नींव रखी थी। 10वीं और 14वीं लोकसभा के दौरान उन्होंने विपक्ष के नेता की भूमिका बखूबी निभाई है। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जरिए अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। 2015 में उन्हें भारत के दूसरे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।