बिहार के इस क्षेत्र में गन्ना भी देश की आत्मनिर्भरता और बिहार के युवाओं के रोजगार का एक बड़ा माध्यम बन सकता है। आज पेट्रोल और हवाई ईंधन में गन्ने से बने इथेनॉल की ब्लेंडिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है। पहली बार इसके लिए व्यापक नीति बनाई गई है।
बिहार को बीमार होने से बचाने के लिए, बिहार को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, हर एक परिवार का, हर एक मतदाता का एक-एक वोट एनडीए यानी भाजपा, जदयू, हम पार्टी और वीआईपी पार्टी के उम्मीदवारों को ही पड़ना चाहिए।
आत्मनिर्भर बिहार के निर्माण में बहुत बड़ी भूमिका हमारी बेटियों की है, हमारी बहनों की है। इसलिए जीविका दीदियों की भूमिका का निरंतर विस्तार किया जा रहा है। आने वाले समय में बिहार की लाखों बहनों को इससे जोड़ने का लक्ष्य है।
हाल में देश में मछलीपालन को बढ़ावा देने के लिए एक बहुत बड़ी योजना बिहार से ही लॉन्च की गई है। मत्स्य संपदा योजना के तहत हजारों करोड़ रुपये का निवेश मछली व्यवसाय से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है।
खेती हो, पशुपालन हो, मछलीपालन हो, इससे जुड़े उद्योग और उद्यम आत्मनिर्भर चंपारण, आत्मनिर्भर बिहार का अहम हिस्सा हैं। पूर्वी चंपारण में ही कृषि अनुसंधान केंद्र बन चुका है। यहां डेयरी प्लांट भी लग चुका है, जिससे पशुपालकों को लाभ होता है।
आत्मनिर्भर बिहार, यहां के हर युवा की आकांक्षाओं को पूरा करने का रोडमैप है। आत्मनिर्भर बिहार, यहां के गांव-गांव के सामर्थ्य को पहचान दिलाने का मार्ग है। आत्मनिर्भर बिहार, गांवों में उद्यम के, रोज़गार के अवसर तैयार करने का अभियान है।
मैं पिछले साल चंपारण में सत्याग्रह से स्वच्छाग्रह कार्यक्रमके समापन पर आया था। चंपारण सत्याग्रह के 100 वर्ष पूर्ण होने पर स्वच्छता का ये प्रयास करके इस क्षेत्र के लोगों ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को सच्ची श्रद्धांजलि दी है।
आज बिहार प्रगति के जिस पथ पर है, वो बिहार का भविष्य और मजबूत करेगा, उसे और गौरवशाली बनाएगा। एनडीए के हम सभी साथी मिलकर इसी सोच को साकार करने में लगे हैं।
जंगलराज का अंधेरा बिहार पीछे छोड़ चुका है, अब नई रोशनी में डबल इंजन की ताकत के साथ विकास का लाभ हमें बिहार के हर व्यक्ति तक पहुंचाना है।
ये एनडीए की सरकार है जिसने बिहार की माताओं-बहनों के लिए लाखों शौचालय बनाकर उनकी परेशानी कम करने का प्रयास किया है।
इन लोगों ने कभी बिहार की महिलाओं, बहनों-बेटियों को होने वाली परेशानी की चिंता नहीं की। वो खुले में शौच में जाने के लिए मजबूर थीं, उनकी सुरक्षा पर खतरा रहता था, लेकिन जंगलराज वाले, जंगल जैसे हालात बनाए रखना चाहते थे।
जंगलराज वालों को चिंता है कि लालटेन कैसे जले। हमारा प्रयास है कि हर घर में चमकदार एलईडी बल्ब कैसे पहुंचे।
जंगलराज का अंधेरा बिहार पीछे छोड़ चुका है, अब नई रोशनी में डबल इंजन की ताकत के साथ विकास का लाभ हमें बिहार के हर व्यक्ति तक पहुंचाना है।
बिहार की महिलाएं, माताएं-बहनें खुले में शौच में जाने के लिए मजबूर थीं, उनकी सुरक्षा पर खतरा रहता था, लेकिन जंगलराज वाले, जंगल जैसे हालात बनाए रखना चाहते थे। एनडीए की सरकार ने बिहार की माताओं-बहनों के लिए लाखों शौचालय बनाकर उनकी परेशानी कम करने का प्रयास किया है।
एनडीए का प्रयास है कि हम बिहार के अपने गरीब भाइयों बहनों को ज्यादा से ज्यादा पक्के घर कैसे दे सकें। जंगलराज वालों को चिंता है कि अपनी तिजोरी कैसे भरें। हमारी प्राथमिकता है कि बिहार के किसानों को, श्रमिकों को, बुजुर्गों को पैसे सीधे उनके बैंक खाते में डाल सकें।