नई दिल्ली,(एजेंसी) 01 मार्च । दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली अप्रत्याशित जीत के बाद आम आदमी पार्टी उत्साह में है। लेकिन प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने के 15 दिनों के भीतर ही पार्टी के अंदर के हालात बदलने लगे हैं। पार्टी में अंदरूनी कलह खुलकर सामने आ गई है। AAP के आंतरिक लोकपाल एडमिरल रामदास ने दल के भीतर लोकतंत्र पर सवाल उठा दिए हैं, उन्होंने पीएसी सदस्यों को चिट्ठी भी लिखी है।
आम आदमी पार्टी में आतंरिक लोकपाल एडमिरल रामदास ने पार्टी हाईकमान अरविंद केजरीवाल को भी चिट्ठी लिखी है। उन्होंने आरोप लगाया है कि पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र नहीं है। उन्होंने दिल्ली का मुख्यमंत्री और पार्टी संयोजक एक ही व्यक्ति के होने पर भी सवाल उठाए हैं। रामदास ने पीएसी और एनई जैसी कमेटियों के भी पुनर्गठन की बात कही है। इतना नहीं नहीं, उन्होंने कैबिनेट में एक भी महिला के ना होने पर पार्टी को ‘ब्वॉयज क्लब’ बता दिया है।
इससे पहले शनिवार को पार्टी संगठन में बड़े फेरबदल के संकेत मिले थे। पीएसी से योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को हटाए जाने की खबर आई थी। सूत्रों के मुताबिक, AAP के कई नेता योगेंद्र यादव के तौर तरीकों से नाराज हैं। 26 फरवरी को कार्यकारिणी की बैठक में भी इस ओर गरमागरम नोंकझोंक की खबर आई. हालांकि पार्टी ने खबरों को निराधार बताया है और ऐसे किसी कलह को खारिज किया है।
आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को अधिकार दिए हैं कि वो पार्टी की सबसे बड़ी निर्णय लेने वाली इकाई पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी को फिर से गठित करने के लिए सदस्यों के नाम का सुझाव राष्ट्रीय कार्यकारिणी को देंगे। इसके आधार पर पीएसी फिर से गठित होगी। सूत्रों के मुताबिक इस पीएसी में अरविंद केजरीवाल योगेंद्र यादव के नाम का सुझाव नहीं देने जा रहे हैं, जिससे योगेंद्र पार्टी की सबसे बड़ी निर्णय लेने वाली ईकाई से बाहर हो जाएंगे।
गुरुवार को हुई पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में योगेंद्र यादव का मुद्दा उठा और बताया जाता है कि ज्यादातर सदस्य योगेंद्र यादव से नाराज थे। पार्टी में योगेंद्र यादव से नाराज धड़े का आरोप है कि उन्होने अरविंद केजरीवाल और पार्टी के खिलाफ मीडिया में खबर प्लांट कराई। साथ ही दिल्ली चुनाव के दौरान अपेक्षित सहयोग नहीं किया। यही नहीं, हरियाणा में पार्टी के चुनाव ना लड़ने के निर्णय को भी यादव ने सार्वजनिक तौर पर गलत बताया।
कार्यकारिणी की बैठक में नहीं पहुंचे केजरीवाल
सूत्रों के मुताबिक, केजरीवाल ने पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पहले दिन ही अपना इस्तीफा भिजवाकर कहा कि वो शायद पार्टी में उतना समय नहीं दे पाएं क्योंकि अब वो सीएम बन गए हैं और उनकी जिम्मेदारी बढ़ गई है। यानी केजरीवाल जिस पार्टी के मुखिया हैं, उस पार्टी की ही राष्ट्रीय कार्यकारिणी में वह नहीं गए। पार्टी ने केजरीवाल का इस्तीफा नामंजूर करके दूसरे दिन उन्हें पीएसी फिर गठित करने के लिए सुझाव देने के अधिकार दे दिए और दूसरे दिन की बैठक से योगेंद्र यादव को दूर रखा गया।
रिश्तों में खटास
दरअसल, अरविंद केजरीवाल और योगेंद्र यादव के रिश्तों में खटास पहली बार पिछले जून में ही दिखाई दे गई थी। तब योगेंद्र यादव ने पार्टी पर व्यक्तिवाद का शिकार होने का आरोप लगाया था। जवाब में पार्टी के बड़े नेता और केजरीवाल के करीबी मनीष सिसोदिया ने योगेंद्र यादव पर ही सवाल उठाकर उनको कटघरे में खड़ा कर दिया था, हालांकि बाद में मामला शांत बताया गया।