नई दिल्ली ,(एजेंसी) 6 फरवरी । राष्ट्रीय राजधानी में सात फरवरी को होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक पार्टियों द्वारा चुनाव प्रचार पर लगभग 200 करोड़ रुपये खर्च किए जाने का अनुमान है।
चुनाव प्रचार पर ज्यादातर खर्च प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में विज्ञापनों पर किया गया। उद्योग संगठन एसोचैम ने गुरुवार को यह जानकारी दी। एसोचैम के मुताबिक दिसंबर 2013 विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार चुनावों पर खर्च 30-40 प्रतिशत बढ़ा है।
इस बार के चुनावों में 60 प्रतिशत से अधिक खर्च रैलियों और प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में विज्ञापनों पर खर्च हुआ है। एसोचैम के मुताबिक व्यक्तिगत उम्मीदवारों की तुलना में राजनीतिक पार्टियों ने भारी धनराशि खर्च की है।
एसोचैम महासचिव डी.एस. रावत ने कहा, “व्यक्तिगत उम्मीदवारों पर खर्च की एक सीमा लागू होती है, जबकि राजनीतिक पार्टियों पर ऐसी कोई बंदिश नहीं है, जो कि चुनाव कानून में एक बड़ी खामी है, जिसे अवश्य सुलझाया जाना चाहिए।”
इन विज्ञापनों से सबसे अधिक लाभ टेलीविजन चैनलों, अखबारों, प्रिंटर्स, सोशल नेटवर्किं ग साइटों, परिवहन प्रदाताओं, केटर्स और विमानन कंपनियों आदि को हो रहा है।
इसके अलावा, विज्ञापन कंपनियां बड़े स्तर पर सामूहिक मेल, विपक्षी पार्टी पर शोध और साइनबोर्ड व पर्चो की ग्राफिक डिजाइनिंग के जरिए मतदाताओं को प्रभावित करने की जिम्मेदार हैं।
एसोचैम के मुताबिक सलाहकार कंपनियां अभियान टीम सदस्यों और पार्टी समर्थकों को जिम्मेदारियां सौंपने के संदर्भ में प्रशिक्षण भी दे रही हैं।
राजनीतिक पार्टियां द्वारा डिजिटल मीडिया पर भारी धनराशि खर्च करने की वजह से गूगल, ट्विटर और फेसबुक जैसी कंपनियों को इस साल अपनी आमदनी बढ़ने की भी उम्मीद है।
रावत के मुताबिक, “ज्यादातर पार्टियां इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाली युवा मतदाता पीढ़ी को आकर्षित कर रही हैं। मतदाताओं तक पहुंच बनाने के लिए ऑनलाइन माध्यम वास्तव में सशक्त हो गया है।”