नई दिल्ली,(एजेंसी)04 जुलाई। भारत में जाति व्यवस्था अन्यायपूर्ण और अनुचित लगती है – लोगों को पेशे या जन्म के आधार पर क्यों बांटा जाए? मगर क्या हमेशा से ऐसा ही था? और जाति व्यवस्था को खत्म करने से क्या आज उससे जुड़ी सारी समस्याएं हल हो सकती हैं? भारतीय जाति व्यवस्था को इस तरह समझा जा सकता है: वर्णाश्रम धर्म में चार मूल जातियां हैं। एक है शूद्र, जो छोटे और तुच्छ काम करता है, वैश्य जो व्यापार करते हैं, क्षत्रिय, जो समुदाय या देश की रक्षा करते हैं और शासन चलाते हैं और ब्राह्मण, जो उस समाज की शिक्षा और आध्यात्मिक प्रक्रिया का ख्याल रखते हैं। भारतीय जाति व्यवस्था की चार श्रेणियां सामाजिक ढांचे की चार श्रेणियों में वर्गीकरण को अलग-अलग संदर्भों में समझा जा सकता है। उसे देखने का एक तरीका यह है कि जिन लोगों ने अपने जीवन की जिम्मेदारी नहीं ली या जिन्होंने अपने जीवन के हालातों की जिम्मेदारी नहीं ली, ऐसे लोगों को शूद्र कहा गया। वह सिर्फ अपने जीवित रहने की जिम्मेदारी लेता है, और किसी चीज की नहीं। वैश्य वह होता है जो …
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