नई दिल्ली, खबर इंडिया नेटवर्क। कभी एक साथ मंच साझा करने वाले समाजसेवी अन्ना हजारे एवं आम आदमी पार्टी [आप] के संयोजक अरविंद केजरीवाल के बीच अब इस विधेयक को लेकर दोनों के बीच मतभेद उभर कर सामने आ गया है। इससे पहले दोनों यही कहते आये थे कि इनके रास्ते एवं तरीके अलग-अलग है लेकिन देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाना ही इनका मुख्य मकसद हैं।
जनलोकपाल बिल को लेकर जिस आंदोलन ने अन्ना हजारे एवं अरविंद केजरीवाल एक साथ खड़े हुए थे आज वहीं बिल इन दोनों के बीच की दूरियों का कारण बन गया है। दोनों के लोकपाल बिल आज बदल चुके हैं। एक ओर जहां अरविंद केजरीवाल ने सरकारी लोकपाल को प्रभावहीन बताते हुए कहा कि विधेयक के इस स्वरूप से भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा, जबकि अन्ना ने सरकारी लोकपाल को सही ठहराते हुए केजरीवाल को विधेयक सही से पढ़ने की नसीहत दे डाली। उधर, केजरीवाल ने संप्रग सरकार की ओर से संसद में पेश लोकपाल को खारिज करते हुए कहा कि अन्ना द्वारा सरकारी लोकपाल को मंजूर करने से उन्हें दुख हुआ है।