नई दिल्ली,एजेंसी-9 अगस्त। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि राजधानी में पंजीकरण, बीमा और ड्राइविंग लाइसेंस के बिना ई-रिक्शा के परिचालन को अनुमति नहीं दी जाएगी। न्यायाधीश बी.डी.अहमद और न्यायाधीश सिद्धार्थ मृदुल की खंडपीठ ने कहा कि बिना ड्राइविंग लाइसेंस के ई-रिक्शा चालकों को परिचालन की अनुमति नहीं दी जाएगी। अदालत ने परिचालन पर लगी रोक हटाने से इंकार कर दिया।
पीठ ने कहा, “हम ई-रिक्शा चालकों की आजीविका को लेकर चिंतित हैं, लेकिन हमें भारत के नागरिकों की भी चिंता है।”
अदालत ने कहा, “एक बात तो स्पष्ट है कि सड़क पर वाहन चलाने वाले लोगों के पास ड्राइविंग लाइसेंस होना चाहिए और उन्हें ड्राइविंग भी आनी चाहिए। ई-रिक्शों को नियंत्रित करना जरूरी है। उन्हें यातायात के नियमों की भी जानकारी होनी चाहिए।”
केंद्र सरकार ने बैट्री चालित रिक्शा पर नियंत्रण के लिए उन्हें मोटर वाहन अधिनियम के तहत लाने के दिशा निर्देश के मसौदे को अदालत में पेश किया।
इस दौरान सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने दलील दी कि ई-रिक्शा पर नियंत्रण संबंधी दिशा-निर्देश को लगभग दो महीने में तैयार कर लिया जाएगा, इसलिए तबतक प्रतिबंध को हटा लिया जाए।
प्रतिबंध हटाने से इंकार करते हुए पीठ ने कहा, “चिंता की बात यह है कि इन बैट्री चालित रिक्शा चालकों के पास न तो लाइसेंस है, न पंजीकरण और न ही बीमा। जबतक इसकी व्यवस्था नहीं होती, उन्हें परिचालन की अनुमति नहीं दी जाएगी।”
अदालत ने सरकार को सुझाव दिया कि वह इनके पंजीकरण के लिए शिविर लगाए और किसी बीमा कंपनी से उनका बीमा करवाए।
अदालत ने कहा, “तिपहिया वाहन ऑटो के लिए कुछ नियम हैं, जैसे उनका रंग और यूनिफॉर्म। सरकार को यही व्यवस्था ई-रिक्शों के लिए भी करनी चाहिए।”
केंद्र के दिशानिर्देश के मसौदे के मुताबिक, ई-रिक्शा की अधिकतम गति 25 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा नहीं होगी। इसपर चार सवारियों को बैठाया जाएगा और 50 किलोग्राम तक भार ढोया जा सकेगा।
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