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बेनीवाल की बर्खास्तगी पर बवाल


Beniwal
नई दिल्ली,एजेंसी-8 अगस्त। मिजोरम की राज्यपाल कमला बेनीवाल की बर्खास्तगी का मामला तूल पकडऩे लगा है। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस समेत तमाम दलों ने इसे सरकार की बदली की कार्रवाई बताया है। वहीं सरकार ने विपक्ष के इस आरोप का खंडन किया है। कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने मिजोरम की राज्यपाल कमला बेनीवाल की बर्खास्तगी को प्रतिशोध की राजनीति करार दिया। कांग्रेस और सहयोगी दलों ने गुरुवार को नरेंद्र मोदी सरकार के इस कदम की निंदा की। कांग्रेस नेता अजय माकन ने ट्विटर पर लिखा, यदि राज्यपाल कमला बेनीवाल को राज्यपाल के पद से हटाया ही जाना था तो कुछ दिनों पहले उन्हें गुजरात से मिजोरम क्यों स्थानांतरित किया गया। यह प्रतिशोध की राजनीति है। गुजरात में मोदी के मुख्यमंत्री पद के कार्यकाल के समय राज्यपाल रहीं बेनीवाल को बीती छह जुलाई को मिजोरम स्थानांतरित किया गया था। गुजरात का मुख्यमंत्री रहने के दौरान मोदी के रिश्ते बेनीवाल के साथ तनावपूर्ण थे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सत्ता में आने के बाद उनका स्थानांतरण मिजोरम कर दिया गया था। बेनीवाल दो महीने बाद सेवानिवृत्त होने वाली थीं। कांग्रेस के प्रवक्ता संजय झा ने ट्विटर पर लिखा, मोदी सरकार राजनीतिक प्रतिशोध के तहत बदले की भावना से प्रेरित होकर 87 वर्षीय राज्यपाल कमला बेनीवाल जैसे लोगों को बर्खास्त कर रही है, जिन्होंने उन पर सवाल उठाया है। यह बेहद शर्म की बात है। कांग्रेस के सहयोगी दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने कहा, सर्वोच्च न्यायालय ने एक फैसला सुनाया था और यह उस फैसले का स्पष्ट उल्लंघन है। यह प्रतिशोध की राजनीति है। इससे ज्यादा दुर्भाग्य की बात क्या होगी कि एक सरकार ने एक महिला राज्यपाल के विरुद्ध यह कदम उठाया। समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता नरेश अग्रवाल ने कहा, यदि वे (केंद्र सरकार) बेनीवाल को हटाना चाहते थे, तो दो महीने इंतजार कर सकते थे, वे सेवानिवृत्त होने वाली थीं। उन्होंने जो किया वह एक गलत संदेश है। उधर संसदीय कार्य मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने गुरुवार को कहा कि मिजोरम की राज्यपाल कमला बेनीवाल को पद से बर्खास्त करने का निर्णय पूरी तरह संवैधानिक है और इसमें कोई राजनीति नहीं है। नायडू ने संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा कि बेनीवाल के खिलाफ गंभीर आरोप लगे हैं, जिसे देखते हुए सरकार ने कार्रवाई की है। कुल मिलाकर विपक्ष नैतिकता को आधार बनाकर इस मुद्दें पर सरकार को घेर रहा है।
मोदी बनाम बेनीवाल :
गुजरात से शुरू हुआ था टकराव
गुजरात के राज्यपाल के रूप में मोदी से तनातनी के बीच बेनीवाल ने न्यायमूर्ति आरए मेहता (अवकाश प्राप्त) को गुजरात का लोकायुक्त नियुक्त किया जिसके खिलाफ राज्य ने पहले हाई कोर्ट में फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील की। कोर्ट ने इसे बरकरार रखा। हालांकि जस्टिस मेहता ने पद स्वीकार नहीं किया था और मोदी सरकार ने नया नाम तय किया था। इसके अलावा कमला बेनीवाल ने राज्य विधानसभा में पारित विभिन्न विधेयकों को भी रोक दिया था। उनमें से एक स्थानीय निकायों में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण देने के संबंध में था। तब से दोनों के बीच तनातनी चल रही थी जो मोदी के सत्ता में आने के बाद तासीर हो गई।


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