कोच्चि,एजेंसी-6 अगस्त | लीबिया से मुक्त कराई गईं केरल की 44 नर्सो का दल मंगलवार सुबह कोच्चि पहुंच गया। वे दुबई के रास्ते मध्य पूर्व एयरलाइन से सुबह 8.50 बजे यहां पहुंचीं। कोच्चि पहुंची नर्सो के चेहरों पर लीबिया में जारी हिंसा का खौफ साफ झलक रहा था। एक ने कहा कि उनका दर्द शब्दों में बयां नहीं हो सकता। हवाईअड्डे के बाहर अपने परिजनों को देखते ही उनकी आंखों में आंसू आ गए।
नर्सो को ट्यूनीशिया की सीमा से सोमवार शाम पहले दुबई लाया गया और वहां से उन्हें यात्री विमान से कोच्चि लाया गया। अनिवासियों के कल्याण के मामले देखने वाली राज्य की एजेंसी रूट्स-नोरका के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पी. सुदीप नर्सो की अगवानी के लिए कोच्चि हवाईअड्डे पर मौजूद थे।
सुदीप ने कहा, “हवाईअड्डे पर उनकी सहज निकासी के लिए खास इंतजाम किए गए थे। सभी नर्सो को उनके घर पहुंचने के लिए दो-दो हजार रुपये दिए गए हैं।” मुख्यमंत्री ओमन चांडी और राज्य के प्रवासी मामलों के मंत्री के. सी. जोसेफ ने नर्सो के यहां पहुंचने पर उनसे फोन पर बात की। एक नर्स ने बताया, “ट्यूनीशिया की सीमा तक बस की यात्रा बेहद डरावनी रही। पांच घंटे की यात्रा के बाद हम वहां पहुंचे। हर तरफ गोलीबारी हो रही थी और हमारी आंखों के सामने दो लोग मारे गए। हम सब बस प्रार्थना कर रहे थे।”
एक अन्य नर्स ने बताया, “त्रिपोली हवाईअड्डे को बम से उड़ा दिया गया था और हम घर वापस लौटने की उम्मीद खो चुके थे। ईश्वर का लाख-लाख शुक्र है।” नैंसी एलीजाबेथ ने अपने वतन पहुंचकर चैन की सांस ली। उन्होंने आईएएनएस को बताया, “वहां जिस खौफनाक दौर से मैं गुजरी हूं, उसे बयां नहीं कर सकती। यहां अपने पति और बच्चों से मिलकर मुझे जो खुशी हुई है, उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकती।”
एलीजाबेथ ने कहा, “मैं एक साल से लीबिया में काम कर रही थी। हम सभी ने वहां जाने के लिए नियुक्ति शुल्क के रूप में लगभग डेढ़ लाख रुपये भुगतान किए थे।” एलीजाबेथ अब दिल्ली जाकर काम ढूंढ़ने के बारे में सोच रही हैं। उन्होंने कहा, “मैंने किसी तरह अपना पूरा वेतन पा लिया। वहां पर अभी भी नर्सो को वेतन भत्ते आदि नहीं मिले हैं, जो लगभग दो लाख रुपये हैं।” एक नर्स ने कहा, “हमें आपात स्थिति में वहां से लौटना पड़ा और हम काम के अनुभव का प्रमाणपत्र भी नहीं ले पाए। हममें से कुछ को तो चार महीनों का वेतन भी नहीं मिला था। लेकिन हम सुरक्षित घर पहुंच गए हैं। आगे क्या करूंगी मालूम नहीं, पर मैं खुश हूं।” केरल की 43 अन्य नर्से अब भी ट्यूनीशिया की सीमा पर हैं। फिलहाल यह तय नहीं है कि उन्हें कब यहां लाया जाएगा, जबकि 10 नर्से मंगलवार शाम वहां से रवाना होंगी।