पटना,एजेंसी-4 अगस्त। नेपाल में भूस्खलन से भुटकोशी की धारा अवरूद्धहोने से बिहार के करीब नौ जिलों में भीषण बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। संभावित बाढ़ को लेकर बिहार सरकार आवश्यक तैयारी कर रही है। इस बीच नेपाल की सेना नदी में गिरे पहाड़ के छोटे-छोटे टुकड़े कर हटाने में जुटी हुई है। कोशी के अचानक बढ़े जलस्तर में इस बीच कमी आई है। मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण कर कहा है कि फिलहाल हालात सामान्य हैं। सरकार हर हालत से निपटने को तैयार है।
मुख्यमंत्री वीरपुर, भपटियाही तथा सुपौल में बाढ़ की स्थिति का हवाई सर्वेक्षण, बाढ़ सहाय्य केंद्रों का निरीक्षण तथा बाढ़ से निपटने के लिए की गई तैयारियों का उच्चस्तरीय समीक्षा करने के बाद पटना लौटने पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा, स्थिति भयावह हो जाने की आशंका है मगर अभी स्थिति सामान्य है।
उन्होंने कहा, तीन या चार सेटी विस्फोट किए गए हैं, जिससे 15 से 25 हजार क्यूसेक पानी आ रहा है। ऎसी स्थिति में कोई खतरा नहीं दिख रहा है। नेपाल में जहां अवरोध हुआ है वहां 28 से 32 लाख क्यूसेक पानी जमा है।
आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव ब्यास जी ने कहा, भटकोशी के पास भूस्खलन से चट्टानों के पास लगभग 28 लाख क्यूसेक पानी का जमाव है। भूस्खलित पहाड़ का मलबा लगभग एक किलोमीटर के दायरे में है। अगर नेपाल सरकार मजबूरन कभी भी विस्फोट कर मलबे को हटाएगी तो वेग से कोशी की धार बिहार की लाखों की आबादी को चपेट में ले सकती है।
उन्होंने कहा कि संभावित बाढ़ वाले नौ जिलों सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, अररिया, खगडिया, पूर्णिया, मधुबनी, भागलपुर, दरभंगा में कुल 123 जन शिविर तथा 31 मवेशी कैम्प संचालित हैं। इन शिविरों में लगभग 50 हजार आबादी का निष्क्रमण कराकर उन्हें पनाह दी गई है।
ब्यास जी ने कहा कि कोशी में वेग से बिहार में नहीं आने की मुख्य वजह नेपाल सरकार द्वारा विस्फोट से पूर्व छोटे-छोटे छेद बनाकर नियंत्रित बहाव कराया जा रहा है। लेकिन भूस्खलन के बड़े भूभाग के आलोक में बहुत देर तक विस्फोस्ट को रोका नहीं जा सकता।
आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), दिल्ली के डीआईजी सुजीत सिंह बुलेरिया ने पटना में बताया कि प्रभावित होने की संभावना को देखते हुए संभावित क्षेत्रों में एनडीआरएफ की टीम को लगाया गया है।
उन्होंने बताया कि आपदा प्रबंधन 2005 धारा 34 की उपधारा 2 के अनुसार, जिनके जानमाल को खतरा है और वे सुरक्षित स्थान पर जाना नहीं चाहते, ऎसे में उन्हें बलपूर्वक सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि बिहटा एयरपोर्ट पर चार हेलीकॉप्टर तैयार हैं तथा पांच टीमें भटिंडा में उड़ान भरने को तैयार हैं। उन्होंने बताया कि प्रभावित इलाको में 25 सेटलाइट फोन की सुविधा दी जा चुकी है, जिसके माध्यम से सीधे सही जानकारी प्राप्त हो सके और सुरक्षा व्यवस्था दुरूस्त रखी जा सके। सुरक्षा व्यवस्था के लिए भी पुलिस बल और जिलों के पुलिस अधीक्षक से समन्वय किया जा रहा है।
इस बीच रविवार की शाम कोशी नदी पर बने वीरपुर बैराज से पहले बराह क्षेत्र में कोशी नदी के जलस्तर में हुई कमी से लोग राहत की संास ले रहे हैं।
इधर, वीरपुर बैराज के अधीक्षण अभियंता विष्णुकांत पाठक ने बताया कि कोसी के जलस्तर में सुबह वृद्धि अवश्य हुई थी, उसके बाद कमी देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि वीरपुर बैराज के सभी गेट खोल दिए गए है जिस कारण यहां पानी जमा नहीं हो रहा है।
अधिकारियों के मुताबिक, नेपाल की सेना भुटकोशी की धारा में उत्पन्न अवरोध को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़कर पानी बने का रास्ता दे रही है। यही कारण है कि कोसी के जलस्तर में कमी आई है।
संभावित आपदा से लगभग नौ जिलों की डेढ़ लाख आबादी के प्रभावित होने की आशंका है। इसमें सबसे अधिक सुपौल जिले की 22 पंचायतों के लगभग 50 हजार आबादी के प्रभावित होने का अनुमान है।
जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बताया कि तटबंधों के सभी गेट खोल दिए गए हैं। उन्होंने उम्मीद जताई है कि कुसहा जैसी तबाही नहीं आएगी लेकिन आपदा प्रबंधन विभाग ने किसी भी स्थिति से निपटने को तैयार है।
उन्होंने बताया कि जल संसाधन विभाग से सभी मुख्य अभियंताओं और संबंधित जिला पदाधिकारियों को अलर्ट कर दिया है। विभाग के सचिव दीपक कुमार सिंह, अभियंता प्रमुख (उत्तर) और तकनीकी पदाधिकारियों के साथ वीरपुर में कैम्प कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि छह वर्ष पूर्व 18 अगस्त 2008 को कोशी नदी में नेपाल की ओर से अचानक भरी मात्रा में पानी आने से कुसहा बांध टूट गया था। बाढ़ में करीब 247 गांव के करीब सात लाख लोग प्रभावित हुए थे। 217 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। इसके अलावे दो लाख 60 हजार पशु भी बाढ़ की चपेट में आए थे जिनमें से 5445 की मौत हो गई। क्षेत्र में 50769 लाख हेक्टेयर भूमि पर लगी फसल बर्बाद हो गई थी।