नई दिल्ली, एजेंसी-2 अगस्त। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार को सुझाव दिया कि अपराध न्याय प्रणाली में तेजी लाने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए, ताकि मामले तेजी के साथ सुलझाए जा सकें।
सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर.एम.लोढ़ा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अतिरिक्त अदालतें और न्यायिक आधारभूत संरचना का निर्माण प्रतीकात्मक नहीं बल्कि वास्तविक रूप में होना चाहिए।
प्रधान न्यायाधीश लोढ़ा ने कहा, ‘‘अपराध न्याय प्रणाली उस गति से नहीं चल रही है जैसी गति मैं चाहता हूं। मैं समझता हूं कि अपराध न्याय प्रणाली को और गतिशील बनाने के लिए सभी प्रयास किए जाने चाहिए जिसमें और अदालतों की जरूरत है।’’
यह कहते हुए कि सुशासन और आपराधिक मामलों के त्वरित निपटारा अभिन्न हिस्सा हैं, अदालत ने कहा कि आपराधिक मामलों का 10 वर्ष तक लंबित रहना लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है।
कोर्ट ने विधि सचिवों और सभी राज्यों के मुख्य सचिवों की बैठक करने का सुझाव दिया, जिसमें ठोस समाधान निकालने के लिए समस्या को व्यापक स्तर पर देखा जाए।
कोर्ट का यह फैसला नेशनल पैंथर्स पार्टी प्रमुख भीम सिंह की ओर से दायर याचिका पर आया है, जिसमें उन पाकिस्तानी कैदियों को रिहा करने की मांग की गई थी जो सजा पूरी होने के बावजूद जेल में बंद हैं।
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