नई दिल्ली,एजेंसी-15 जुलाई। सरकार ने एक भारतीय पत्रकार की जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद के साथ पाकिस्तान में हुई मुलाकात से सोमवार को खुद को अलग रखते हुए कहा कि ना तो उसने इसके लिए कोई अनुमति दी थी और न ही मुंबई हमले के आरोपी को लेकर उसकी राय में कोई बदलाव हुआ है।
सरकार ने यह भी कहा कि इसमें कोई ट्रैक-2 या ट्रैक-3 कूटनीति नहीं है और जहां तक सरकार का सवाल है तो हाफिज एक आतंकवादी है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने सोमवार को राज्यसभा में वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रताप वैदिक की सईद के साथ मुलाकात का मुद्दा उठाया और सरकार से जानना चाहा कि क्या उसने इस मुलाकात के लिए अनुमति दी थी? पार्टी के अन्य सदस्यों ने उनकी बात से सहमति जताई।
केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने इसके जवाब में कहा कि सरकार का इससे प्रत्यक्ष रूप से, अप्रत्यक्ष रूप से या दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं है। सरकार ने किसी को भी उससे (सईद से) मिलने के लिए अनुमति नहीं दी है। उन्होंने कहा कि सईद एक आतंकवादी है और भारत के खिलाफ आतंकवाद में लिप्त रहा है।
सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सरकार ने स्पष्ट किया है कि किसी पत्रकार की सईद के साथ मुलाकात में उसकी कोई भूमिका नहीं थी।
जावड़ेकर ने संसद भवन परिसर में कहा कि जहां तक सईद का सवाल है तो उसके बारे में सरकार की राय बिलकुल नहीं बदली है। भारत के लिए सईद एक आतंकवादी हमले का आरोपी है। वह एक आतंकवादी है जिसने भारत के खिलाफ हमले की साजिश रची थी।
जावड़ेकर ने कहा कि इसमें कोई ट्रैक-2 या ट्रैक-3 कूटनीति नहीं है और जहां तक सरकार का सवाल है तो हाफिज एक आतंकवादी है।
उन्होंने कहा कि इस बारे में सरकार स्पष्ट कर चुकी है। यह मुद्दा लोकसभा में भी उठा और कांग्रेस सदस्यों ने इसे देश की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ा मसला बताते हुए इस पर केंद्र सरकार के जवाब की मांग की।
लोकसभा में प्रश्नकाल खत्म होने के बाद कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल ने यह मुद्दा उठाते हुए सरकार से जानना चाहा कि ऐसे दुर्दांत आतंकवादी से मुलाकात के लिए क्या वैदिक ने सरकार से अनुमति ली थी।
आरएसपी केएन के प्रेमाचंद्रन ने भी यह मामला उठाया। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी कहा कि इस मामले में विदेश मंत्री को हस्तक्षेप करना चाहिए।
गौरतलब है कि भारत के सर्वाधिक वांछित आतंकियों की सूची में शामिल सईद पर अमेरिका ने 1 करोड़ डॉलर का इनाम रखा है।
इस पूरे विवाद के बीच, योगगुरु बाबा रामदेव के करीबी समझे जाने वाले वरिष्ठ पत्रकार वैदिक ने कांग्रेस के इन आरोपों को गलत बताया कि वे सरकार के दूत के रूप में हाफिज से मिले थे।
वैदिक ने कहा कि वे किसी के दूत नहीं हैं बल्कि स्वयं के दूत हैं। हाफिज से अपनी मुलाकात को सही बताते हुए उन्होंने कहा कि वे हर तरह के लोगों से मुलाकात करते हैं और यह उनके लिए सामान्य बात है।
वैदिक ने कहा कि दशकों से पाकिस्तान के पत्रकार मुझे जानते हैं। उन्होंने मुझे (सईद से मुलाकात) यह अवसर देने की पेशकश की और मैंने कहा कि ठीक है, मैं उनसे मिलूंगा। मेरे लिए यह कोई बड़ी बात नहीं है। यह एक साधारण-सी बात है। मेरे लिए यह एक सामान्य बैठक थी। मैं नेपाल के माओवादियों, अफगानिस्तान के तालिबान से… मिलता रहा हूं।
पत्रकारों और नेताओं के एक समूह के साथ पाकिस्तान की यात्रा पर गए वैदिक ने लाहौर में 2 जुलाई को जमात-उद-दावा के प्रमुख से मुलाकात की थी। जमात-उद-दावा को आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का मुख्य संगठन माना जाता है। इन पत्रकारों और नेताओं को पाकिस्तान के एक शांति शोध संस्थान ने आमंत्रित किया था।
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने ट्विटर पर सवाल किया कि क्या वैदिक राजग सरकार या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निजी दूत के रूप में सईद से मिले? इसके जवाब में वैदिक ने ट्वीट किया, यदि वे इसे संसद में उठाते हैं तो यह अच्छा है, क्योंकि इससे न चाहते हुए भी मुझे पब्लिसिटी मिलेगी। लेकिन इससे कुछ निकलने वाला नहीं है।
योगगुरु रामदेव ने वैदिक का बचाव करते हुए कहा कि इस वरिष्ठ पत्रकार ने संभवत: इस अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी का ‘हृदय परिवर्तन’ करने का प्रयास किया होगा।
योगगुरु ने कहा कि वे एक वरिष्ठ पत्रकार हैं और यदि किसी भी संदर्भ में वे किसी से मिलते हैं तो इसके पीछे जरूर कुछ कारण होगा।