लखनऊ,एजेंसी-14 जून। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि राज्य सरकार कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने तथा किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए सभी जरूरी मदद उपलब्ध करा रही है। उन्होंने कहा कि कृषि मण्डियों के माध्यम से किसानों को मदद उपलब्ध कराने के लिए गम्भीरता से कार्य किया जा रहा है। साथ ही, प्रदेश की मण्डियों में विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक कदम भी उठाए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री आज भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के सभागार में आयोजित तीन दिवसीय द्वितीय उप्र कृषि विज्ञान कांग्रेस के उद्घाटन अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होेंने कहा कि राज्य की मण्डियों को विश्वस्तरीय बनाने के लिए अधिकारियों को यूरोप के साथ-साथ देश के अन्य प्रान्तों की बेहतर मण्डी व्यवस्था की जानकारी प्राप्त करने के निर्देश दिए गए थे। उन्होंने कहा कि कृषि को लाभदायक बनाने के लिए जरूरी शोध के साथ-साथ ब्राण्डिंग एवं मार्केटिंग पर भी ध्यान दिया जा रहा है।
यादव ने कहा कि किसानों की तरक्की के बिना देश प्रगति नहीं कर सकता। इसलिए कृषि एवं किसान की तरक्की के लिए निरंतर शोध चलते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीक एवं शोध के माध्यम से ही फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने वैज्ञानिकों का आह्वान किया कि वे किसानों की माली हालत सुधारने के लिए और अधिक कटिबद्धता से कार्य करें। प्रदेश में कृषि के क्षेत्र में हुई तरक्की की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश की जमीन अन्य प्रान्तों की अपेक्षा काफी उपजाऊ है। वर्तमान राज्य सरकार द्वारा किसानों को दी जा रही सुविधाओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसान पंजाब से अधिक फसलों की पैदावार कर रहे हैं, इसके फलस्वरूप राज्य में चावल का उत्पादन काफी बढ़ा है। उन्होंने कहा कि किसानों की मेहनत की बदौलत ही उत्तर प्रदेश की ग्रोथ रेट देश के औसत ग्रोथ रेट से अधिक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शोध व तकनीक के बल पर ग्लोबल वार्मिंग एवं क्लाइमेट चेंज के असर से किसानों को बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कृषि शोध का वास्तविक फायदा तभी है, जब किसानों के लिए यह व्यवसायिक रूप से लाभप्रद हो। उन्होंने शोध को शीघ्रातिशीघ्र किसानों तक पहंुचाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध किसानों तक पहुंचते-पहुंचते काफी हद तक अपनी उपयोगिता खो देते हैं। इसलिए जब भी कोई लाभकारी आविष्कार हो, वह किसानों तक तत्काल पहंुचाया जाए, जिससे किसान उनका लाभ उठा सकें। उन्होंने महंगाई की चर्चा करते हुए कहा कि महंगाई पर तभी काबू पाया जा सकता है जब किसानों के उत्पाद जैसे फल, एवं सब्जी आदि सही तरीके से व सही समय पर मण्डियों तक पहंुच जाएं। इस मौके पर उन्होंने उ0प्र0 कृषि अनुसंधान परिषद की स्मारिका सहित कई अन्य पत्र-पत्रिकाओं का विमोचन भी किया। उन्होंने उप्र मण्डी परिषद की तरफ से 28 परियोजनाओं पर शोध के लिए उप्र कृषि अनुसंधान परिषद को 385.71 लाख रुपये का चेक भी प्रदान किया।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्रदेश के कृषि मंत्री मनोज कुमार पाण्डेय ने कहा कि राज्य सरकार हमेशा से कृषि एवं किसानों के विकास के लिए प्रयत्नशील रही है। प्रदेश में कृषि संबंधी शोध को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार हर सम्भव कदम उठा रही है, जिससे राज्य के किसानों का जीवन खुशहाल बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि इस कांग्रेस में प्राप्त निष्कर्षाें को प्रदेश के किसानों के हित में लागू करने का पूरा प्रयास किया जाएगा।
प्रदेश के कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान राज्य मंत्री राजीव कुमार सिंह ने कहा कि उपज का समुचित मूल्य दिलाने के लिए राज्य सरकार आधुनिक मण्डियों की स्थापना के लिए लगातार काम कर रही है।
कृषि उत्पादन आयुक्त वी.एन. गर्ग ने कहा कि प्रदेश में कृषि के विकास के लिए नीतियों को धारणा के स्थान पर शोधपरक प्रमाणोें के आधार पर बनाए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने ऐसी शोधों को बढ़ाने पर बल दिया जो प्रदेश के किसानों के हित में हो।
प्रख्यात वैज्ञानिक प्रो.पंजाब सिंह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि देश की लगभग 68 प्रतिशत आबादी खेती व खेती से संबंधित व्यवसायों पर निर्भर करती है। ऐसे में कृषि के विकास के माध्यम से ही देश की तरक्की हो सकती है। कृषि की तरक्की का आधार कृषि अनुसंधान ही हो सकता है। इस अवसर पर उ0प्र0 कृषि अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष श्री प्रकाश राय उर्फ लल्लन राय, प्रमुख सचिव कृषि देबाशीष पाण्डा, उप्र कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक प्रो.राजेन्द्र कुमार तथा आई.सी.ए.आर. नई दिल्ली के पूर्व उप महानिदेशक डाॅ.एम.डी. पाठक आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम में कारागार मंत्री राजेन्द्र चैधरी, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग के सलाहकार भोला सिंह सहित देश-प्रदेश के कई कृषि वैज्ञानिक, शिक्षक व शोधार्थी उपस्थित थे।