नई दिल्ली,एजेंसी-30 मई। कांग्रेस नेता कर्ण सिंह ने संविधान के अनुच्छेद 370 पर मचे विवाद पर गुरुवार को असंतोष जाहिर किया और सभी पक्षों से इस मुद्दे पर बयानबाजी का सुर नरम करने की अपील की.
इस अनुच्छेद पर प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रभारी राज्यमंत्री का बयान आने के बाद बयानों का युद्ध जारी है.
प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने दो दिनों पहले यह कहकर तूफान खड़ा कर दिया कि नई सरकार ने जम्मू एवं कश्मीर को विशेष हैसियत प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को संशोधित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
कर्ण सिंह ने कहा है कि यह मामला ‘अत्यंत संवेदनशील है और इसे अत्यंत समझबूझ के साथ ठंडे दिमाग से लिया जाना चाहिए.’
राज्यसभा सदस्य कर्ण सिंह ने कहा है, “दोनों पक्षों से जारी बयानों से जम्मू एवं कश्मीर में केवल उपद्रव और तनाव को बढ़ावा मिलेगा.”
उन्होंने कहा कि उनके पिता महाराजा हरि सिंह ने अक्टूबर 1947 में अधिकार पत्र पर हस्ताक्षर किया था.
उन्होंने कहा, “जहां अन्य राज्यों ने विलय संधि पर हस्ताक्षर किया था वहीं जम्मू एवं कश्मीर के साथ रिश्ता देश के शेष हिस्से से अलग एक विशेष परिस्थिति का शिकार रही और इसीलिए उसे विशेष हैसियत दी गई.”
उन्होंने कहा, “1957 में जम्मू एवं कश्मीर के जिस संविधान पर मैंने दस्तखत किए थे वह आज तक लागू है.”
उन्होंने कहा, “निश्चित रूप से जम्मू एवं कश्मीर भारत का अविभाज्य हिस्सा है, लेकिन इसका यह भी मतलब नहीं कि इसके साथ अन्य राज्यों के जैसा बर्ताव होगा.”
उन्होंने उदाहरण के तौर पर हांग कांग का उदाहरण दिया जो चीन का अविभाज्य अंग होते हुए विशेष स्थान रखता है.